Photo Credit - ANI
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    मुंबई : ‘चंपा’ (Champa) के नाम से मशहूर (Famous) जाने-माने कन्नड़ (Kannada) साहित्यकार (Litterateur) चंद्रशेखर पाटिल (Chandrashekhar Patil) का सोमवार (Monday) को सुबह एक निजी अस्पताल (Hospital) में उम्र संबंधी बीमारियों के कारण निधन (Died) हो गया। वह 82 वर्ष के थे। उनके परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। वह उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे और उनका सेहत बिगड़ने पर उन्हें गत रात अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

    कवि, नाटककार पाटिल कन्नड़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष भी थे। वह कन्नड़ साहित्य की ‘बंदया’ शैली की अग्रणी आवाजों में से एक थे। उन्होंने कई साहित्यिक और किसान आदांलनों और प्रदर्शनों में भाग लिया, जिनमें गोकक आंदोलन, बंदया आंदोलन, आपातकाल विरोधी आंदोलन शामिल थे। वह स्कूलों में कन्नड़ भाषा पढ़ाए जाने के धुर समर्थक थे। वह कर्नाटक विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे, प्रभावशाली साहित्यिक पत्रिका ‘संक्रमण’ के संपादक थे और कन्नड़ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे। उन्हें कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार और पम्पा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

    साहित्यिक जगत के लोगों ने पाटिल के निधन पर शोक जताया है

    उनकी मशहूर रचनाओं में बानुली, मध्यबिन्दु, 19 कवानागलु जैसी कविताएं और कोडेगालु, अप्पा, गुर्तिनावारु जैसे नाटक शामिल है। उन्होंने अंग्रेजी में ‘‘एट द अदर एंड” भी लिखी जो उनकी कविताओं का संकलन है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने पाटिल के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि कन्नड़ साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य है और उनके निधन से एक शून्य पैदा हो गया है। पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरमैया, एच डी कुमारस्वामी, बोम्मई मंत्रिमंडल के कई सहकर्मियों और नेताओं तथा साहित्यिक जगत के लोगों ने पाटिल के निधन पर शोक जताया है।  (एजेंसी)