By नवभारत | Updated Date: Nov 19 2018 5:38PM |
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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हम तो समझते थे कि महंगा टिकट लेकर ट्रेन के एसी कोच में सफर करनेवाले यात्रियों का काफी ऊंचा स्टैंडर्ड रहता होगा और वे समाज के क्रीम अर्थात जाने-माने व्यक्ति रहते होंगे, लेकिन हमारी उम्मीदों पर एक खबर ने पानी फेर दिया.’’ हमने कहा, ‘‘ऐसी खबर पढ़ते क्यों हैं? पढ़ भी लिया तो खबर को रबर की तरह तानते क्यों हैं? एसी कोच में वास्तव में हैसियतदार या खाते-पीते घर के लोग प्रवास करते हैं. वहां उन्हें आराम फरमाने के लिए चादर, तकिया, कम्बल मिलता है. तौलिया भी दिया जाता है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, खेद के साथ कहना पड़ता है कि अपनी यात्रा समाप्त होने पर कितने ही यात्री रेलवे की इन चीजों को समेटकर अपने साथ ले जाते हैं. पिछले वित्त वर्ष 2017-18 में देश भर की ट्रेनों के एसी कोच से 21,72,246 बेडरोल आइटम गायब हो गए जिनमें 12,83,415 तौलिए, 4,71,077 चादरें, 56,287 तकिए, 3,14,952 तकिए के खोल तथा 46,515 कम्बल शामिल हैं. इस गायब हुए सामान का मूल्य 14 करोड़ रुपए है. रेलवे की इन चीजों को चुराकर अपने साथ ले जाना कितनी शर्मनाक हरकत है!’’ हमने कहा, ‘‘सचमुच एसी यात्रियों की महिमा न्यारी है. घर में सबकुछ होने पर भी उनकी नीयत डोल जाती है. मालेमुफ्त दिले बेरहम वाली कहावत याद आती है. उनकी मानसिकता है कि मुफ्त का मिले तो छोड़ो मत, लेकर चलते बनो. अटेंडेन्ट के आने के पहले ही माल समेटकर खिसक जाते हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इतना ही नहीं एसी क्लास के वाशरूम से मग, फ्लश पाइप और शीशों की भी चोरी की जाती है. ऐसा क्यों?’’ हमने कहा, ‘‘ये यात्री अपने प्रवास के स्मृतिचिन्ह या मेमेन्टो के तौर पर यह चीजें ले जाते होंगे और अपनी यात्रा के इस सबूत को शान से आप जैसे पड़ोसियों को दिखाते होंगे.’’