नई दिल्ली: पिछले साल आज ही के दिन, 15 जून को लद्दाख (Ladakh) की गलवान वैली (Galwan Valley) में भारत (India) और चीन (China) के सैनिकों (Soldiers) के बीच हिंसक झड़प हुई थी। गलवान घाटी में हुए इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे जिसके बाद महीनों तक भारत-चीन के बीच गतिरोध जारी रहा। हालांकि, कई महीनों तक चुप्पी साधने के बाद आखिरकार, इस साल फरवरी में चीन ने आधिकारिक तौर पर माना था कि, भारतीय जवानों के साथ हुई झड़प में उसके 5 चीनी सैन्य अधिकारी और जवान मारे गए थे। वैसे आंकड़ा अब तक साफ नहीं है लेकिन माना जाता है कि, चीनी सेना की तरफ मरनेवाले सैनिकों की संख्या इससे ज्यादा थी।
इस हिंसक झड़प के बाद, कई रिपोर्ट्स में भी कहा गया था कि, चीनी पक्ष को झड़प में काफी नुकसान हुआ था। भारतीय जवानों की वीरते के बारे में देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि, ‘हमारे जवान मारते-मारते मरे हैं।’
क्या हुआ था उस दिन
न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक, एलएसी पर भारतीय इलाके में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 के पास चीनी सेना के टेंट हटाने पहुंचे भारतीय सैनिक पर चीनी सैनिकों ने हमला कर दिया थ। इस हमले में उन्होंने कंटीले तार लगे डंडों, लोहे की छड़ों, पत्थर और लाठियों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की। डंडों और मुक्कों से ये खूनी संघर्ष करीब 8 घंटे तक चला। सैनिक गलवान नदी से ऊपर एक टीले पर चले गए। कई जवानों के पैर फिसले जिससे वो नदी में गिर गए या पत्थरों से जा टकराए। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए थे।
पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़े सैन्य टकराव
पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़े सैन्य टकराव के कारण क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया था। इस झड़प के बाद शुरुआत में खबर आई थी कि, अत्यधिक ऊंचाई पर शून्य से नीचे तापमान में गतिरोध के स्थान पर ड्यूटी के दौरान भारतीय सेना के जवानों और चीनी आर्मी के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें दोनों पक्षों के जवान घायल हो गए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी पक्ष के 43 सैनिक के भी हताहत होने की खबर सामने आई थी। वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव बताया गया था। उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे। वैसे इस क्षेत्र में दोनों तरफ नुकसान ऐसे वक्त में हुआ था जब सरकार का ध्यान कोरोना महामारी संकट से निपटने पर लगा हुआ था।