'Facial recognition technology' may be banned in America, Bill introduced

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    वाशिंगटन: भारतीय-अमेरिकी कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल (Pramila Jayapal) की अगुवाई में सांसदों के एक समूह ने सरकार को चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक समेत बायोमैट्रिक तकनीक (Biometric Technology) के इस्तेमाल से रोकने के लिए एक विधेयक दोनों सदनों में पेश किया है। इन सांसदों का कहना है कि यह तकनीक नागरिकों की निजता का उल्लंघन करती है तथा पुलिस प्रणाली में ‘‘नस्ली भेदभाव” (Racism) को बढ़ाती है।

    ‘‘दी फेशियल रिकॉग्निशन ऐंड बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी मोरेटोरियम एक्ट” मंगलवार को पेश किया गया। इसका आधार वे खबरें हैं जिनमें कहा गया है कि सैकड़ों स्थानीय, सरकारी और संघीय प्रतिष्ठान समेत कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने चेहरे की पहचान करने वाली तकनीकों का अनियंत्रित तरीके से इस्तेमाल किया और एक शोध में पता चला कि अमेरिका के वयस्क लोगों में से करीब आधे ‘‘फैशियल रिकॉग्निशन डेटाबेस” में पहले से मौजूद हैं। जयपाल, आयना प्रेसली तथा रशीदा तलैब ने यह विधेयक प्रतिनिधिसभा में पेश किया वहीं सीनेटर एडवर्ड जे मार्की, जैफ मकर्ली, बर्नी सैंडर्स, एलिजाबेथ वॉरेन और रॉन विडेन ने इस विधेयक को सीनेट में पेश किया। यह विधेयक यदि कानून का रूप लेता है तो संघीय प्रतिष्ठानों द्वारा चेहरे की पहचान संबंधी तकनीक तथा अन्य बायोमेट्रिक तकनीक के इस्तेमाल पर रोक लग जाएगी और इस रोक को केवल संसद ही हटा सकेगी।

    जयपाल ने कहा, ‘‘चेहरे की पहचान करने संबंधी तकनीक न केवल हस्तक्षेपकारी है बल्कि यह गलत और अनियमित भी है। कानून प्रवर्तन में इसका अश्वेत लोगों के खिलाफ देशभर में इस्तेमाल हो रहा है। यह विधेयक न केवल नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा करेगा बल्कि चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक और बायोमेट्रिक निगरानी के इस्तेमाल से संघीय प्रतिष्ठानों को रोकेगा और इस तरह नस्ली अन्याय के खिलाफ लड़ाई में मददगार होगा।”

    सीनेटर मार्की ने कहा कि यह विधेयक व्यवस्थागत नस्लवाद को जड़ से उखाड़ेगा। बर्नी सैंडर्स ने कहा कि चेहरे की पहचान की तकनीक निजता और नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है और पुलिस प्रणाली में नस्ली भेदभाव को और गहरा करती है। उन्होंने कहा, ‘‘अब बहुत हो चुका। कांग्रेस को सभी तरह के कानून प्रवर्तन में चेहरे की पहचान की तकनीक के इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए।”