69 cases JN.1 variant of Covid reported in country till December 25
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    नयी दिल्ली. जहाँ एक तरफ कोरोना की दूसरी लहर का कहर अब धीरे हो गया है। वहीं देशभर में अभी तक कोरोना  (Coronavirus) के 38 करोड़ से भी ज्यादा सैंपल की टेस्टिंग हो चुकी है, लेकिन अब तक इनमें से केवल 28 हजार की ही जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) हो पाई है। इधर अब एक स्टडी में यह भी सामने आया है कि भारत में अब तक कोरोना वायरस के 120 से ज्यादा म्यूटेशन (Mutation) मिल चुके हैं, इनमें से तो 8 सबसे ज्यादा खतरनाक हैं। हालांकि वैज्ञानिक अभी और 14 म्यूटेशन की जांच कर रहे हैं।

    भारत के 28 लैब में हो रही सीक्वेंसिंग :

    गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जिन खतरनाक वैरिएंट के नाम बताए हैं वे हैं एल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा प्लस, कापा, ईटा और लोटा हैं। ये सभी वैरिएंट अब बहरत में भी मिल चुके हैं। हालाँकि इन वैरिएंट में किसी के केस ज्यादा तो किसी के कम हैं। फिलहाल देशभर की 28 लैब में इनकी जीनोम सीक्वेंसिंग चल रही है। खबरों के अनुसार वैरिएंट की प्रारंभिक रिपोर्ट के रिजल्ट काफी चौंकाने वाले हैं। अगर सूत्रों की मानें तो भारत में डेल्टा के साथ अब कापा वैरिएंट भी है। बीते 60 दिनों में 76 % सैंपल में अब तक इनकी पुष्टि हो चुकी है।

    क्या है जीनोम सीक्वेंसिंग :

    यह भी पता हो कि वैज्ञानिक,जीनोम सीक्वेंसिंग की मदद से ही कोरोना वायरस में हो रहे बड़े बदलावों को समझ पाते हैं। अब भारत के हर राज्य से 5% सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग होनी जरूरी है, लेकिन फिर भी अभी तक ये सिर्फ 3 % भी नहीं हो पा रही है।

    म्यूटेशन करते हैं एंटीबॉडी पर हमला:

    विदित हो कि देश में अब तक 28 हजार 43 सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की जा चुकी है, जिनमें डेल्टा प्लस और कापा के गंभीर म्यूटेशन मिले हैं। इधर वैज्ञानिकों ने डेल्टा प्लस, बीटा, और गामा म्यूटेशन को ही अब तक सबसे खतरनाक बताया है। ये म्यूटेशन तेजी से फैलते हैं और लोगों में एंटीबॉडी (Antibody) पर भी हमला करते हैं। हालाँकि कोरोना वायरस के म्यूटेशन पर वैज्ञानिकों की स्टडी अब भी जारी है।

    गौरतलब है बीते 60 दिनों में 76% सैंपल में डेल्टा वैरिएंट मिला है। वहीं 8% सैंपल में कापा वैरिएंट मिला है। इसके अलावा 5 % सैंपल में एल्फा वैरिएंट भी पाया गया है। वैसे भी अब कोरोना विषाणु बार-बार तेजी से अपना रूप बदल ले रहा है। फिलहाल देश के वैज्ञानिक अपनी स्टडी को और भी व्यापक कर रहे हैं।