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    नयी दिल्ली. आज यानी शुक्रवार 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की वार्षिक शिखर बैठक (SCO Summit) को डिजिटल माध्यम के जरिए संबोधित किया, जिसकी अध्यक्षता ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने की।  

    इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान ताजिकिस्तान को उनकी आजादी के 30 साल होने पर भी बधाई दी।  पीएम मोदी ने ईरान, सऊदी अरब, मिस्र और कतर का SCO ग्रुप में शामिल होने पर उनका स्वागत भी किया।  आज PM मोदी ने कहा कि नए सदस्यों से अब हमारा ग्रुप और भी मजबूत हो रहा है। 

    आज जिन प्रमुख बातों को प्रधानमंत्री मोदी ने कहीं है वो निम्नलिखित हैं:

    • आज प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, इस साल हम एससीओ की 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह ख़ुशी की बात है कि इस शुभ अवसर पर हमारे साथ नए मित्र जुड़ रहे हैं। मैं ईरान का एससीओ के नए सदस्य देश के रूप में स्वागत करता हूँ। 
    • इसके साथ ही वे बोले कि, मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित है और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ कट्टरवाद है। अफ़ग़ानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इन चुनौतियों को और स्पष्ट कर दिया है। इस मुद्दे पर SCO को पहल लेकर काम करना चाहिए। 
    • उन्होंने आगे कहा कि, भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी उदारवादी, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएँ हैं। एससीओ को इनके बीच एक मजबूत तंत्र विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। 
    • वहीं आज प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, भारत मध्य एशिया के साथ अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि भूमि से घिरे हुए मध्य एशिया के देशों को भारत के विशाल बाज़ार से जुड़कर अपार लाभ हो सकता है। 
    • इसके साथ ही वे बोले कि, यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र moderate और progressive cultures और values का गढ़ रहा है।सूफीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं। इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं।
    • अपने देश भारत का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि, पिछले वर्षों में भारत ने अपनी विकास यात्रा में तकनीक का सफल सहारा लिया है।चाहे financial inclusion बढ़ाने के लिए UPI और Rupay Card हों, या COVID से लड़ाई में हमारे आरोग्य-सेतु और COWIN जैसे digital platforms, इन सभी को हमने स्वेच्छा से अन्य देशों के साथ भी साझा किया है।
    • इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी उदारवादी, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएँ हैं। एससीओ को इनके बीच एक मजबूत तंत्र विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। 
    • वहीं उनका यह भी कहना था कि, भारत मध्य एशिया के साथ अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि भूमि से घिरे हुए मध्य एशिया के देशों को भारत के विशाल बाज़ार से जुड़कर अपार लाभ हो सकता है। 

    गौरतलब है कि भारत के अलावा चीन, रूस, पाकिस्तान और कुछ मध्य एशियाई देश शंघाई सहयोग संगठन की वार्षिक शिखर बैठक (SCO Summit) में शामिल हुए हैं। वहीं विदेश मंत्री एस.जयशंकर भी मीटिंग के लिए दुशांबे में उपस्थित हैं।