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    नयी दिल्ली. एक बड़ी खबर के अनुसार आज यानी 23 सितंबर को अग्नि-5 मिसाइल (Agni-5 Missile Testing) का टेस्ट कर सकता है। बता दें कि न्यूक्लियर हथियारों (Nuclear Arms) को ले जाने में सक्षम इस मिसाइल का ये 8वां टेस्ट होगा। 5000 किलोमीटर तक रेंज की यह मिसाइल अगर चली तो इसकी जद में चीन के कई शहर भी आ जाएंगे, वहीं पाकिस्तान भी इसकी चपेट से ज्यादा दूर न होगा।

    बता दें कि बीते 28 जून 2021 को ऐसे ही ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से सुबह 10 बजकर 55 मिनट पर एक ‘मोबइल लॉन्चर’ से अग्नि श्रृंखला की नई मिसाइल ‘अग्नि-प्राइम मिसाइल’ का प्रायोगिक परीक्षण किया गया। तट रेखा के साथ परिष्कृत अत्याधुनिक ‘ट्रैकिंग रडार’ द्वारा इसके प्रक्षेप पथ की निगरानी की गई थी। परमाणु सक्षम मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है।

    इसी प्रकार अब इस अग्नि-5 मिसाइल  के सेना में शामिल होने के बाद भारत दुनिया के उन एलीट देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास न्यूक्लियर हथियारों से लैस इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) मौजूद है।

    क्या हैं अग्नि-5 की ताकत 

    • अग्नि-5 भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने खुद बनाया है। 
    • ये अब भारत के पास मौजूद लंबी दूरी की मिसाइलों में से एक है।
    • इस मिसाइल की रेंज 5 हजार किलोमीटर है। 
    • अग्नि- 5 बैलिस्टिक मिसाइल एक साथ कई हथियार ले जाने में भी पूरी तरह से सक्षम है।
    • ये मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) से लैस है। यानी एक साथ मल्टिपल टार्गेट के लिए इसे आराम से लॉन्च किया जा सकता है।
    • यह भयंकर और मारक मिसाइल अपने साथ डेढ़ टन तक का न्यूक्लियर हथियार ले जा सकती है। 
    • इसकी मारक मिसाइल स्पीड मैक 24 है, यानी आवाज की स्पीड से भी 24 गुना ज्यादा तेज है।
    • अग्नि-5 के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। जिसके चलते इस मिसाइल को कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है।
    • अग्नि-5 मिसाइल का इस्तेमाल भी बेहद आसान और सुगम है, इसे देश में कहीं भी बड़े आराम से तैनाती की जा सकती है।

    अग्नि-5 का इतिहास 

    पता हो कि ये अग्नि सीरीज की 5वीं मिसाइल है। बीते 19 अप्रैल 2012 को उड़ीसा में इसका पहला टेस्ट हुआ था, जो अत्यंत सफल रहा था। फिर जनवरी 2015 में मिसाइल का पहला कैनिस्टर टेस्ट किया गया था। तब मिसाइल को रोड मोबाइल लॉन्चर से ही लॉन्च किया गया था। इसके बाद बीते 10 दिसंबर 2018 को मिसाइल का आखिरी टेस्ट हुआ था। सबसे अहम बात ये है कि अब तक इस मिसाइल के 7 टेस्ट किए जा चुके हैं और सभी बेहद सफल रहे हैं। अग्नि-5 को साल 2020 में ही सेना में शामिल करने की तैयारी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते टेस्ट में देरी हो गई।

    क्या पाकिस्तान-चीन के पास भी है ऐसी मिसाइल?

    • हालाँकि पाकिस्तान की गौरी-2 मिसाइल की रेंज 2300 किलोमीटर और शाहीन-2 मिसाइल की रेंज 2500 किलोमीटर है। वहीं पाकिस्तान शाहीन-3 पर भी काम कर रहा है, जिसकी रेंज 2700 किलोमीटर तक हो सकती है।
    • वहीं चीन के पास भारत के मुकाबले ज्यादा रेंज और आधुनिक तकनीक की मारक मिसाइल है। चीन की DF-31 मिसाइल की रेंज 8000 किलोमीटर और DF-41 मिसाइल की रेंज 12000 किलोमीटर है।

    अग्नि-5 से क्यों घबराया चीन 

    अग्नि-5 के टेस्ट के बारे में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान का कहना है कि भारत न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास बिल्कुल भी नहीं कर सकता है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्ताव 1172 में पहले ही इसके स्पष्ट नियम हैं। हालांकि भारत इस प्रस्ताव को मानने के लिए बिल्कुल भी बाध्य नहीं है।

    अभी कितने देशों के पास है ICBM तकनीक?

    देखा जाए तो फिलहाल दुनिया के चंद देशों के पास ही इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) हैं। इनमें प्रमुख रूप से रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, इजराइल, ब्रिटेन,चीन और उत्तर कोरिया शामिल हैं। भारत इस ताकत से लैस होने वाला अब दुनिया का 8वां देश बनेगा।