नई दिल्ली: सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session ) से पहले रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक (All-party meeting) में विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार से किसानों के फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर तत्काल कानून बनाने के संबंध में कदम उठाने, पेगासस जासूसी मुद्दे, ईंधन की कीमतों में वृद्धि, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग की।
सरकार द्वारा बुलाई गई इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद नहीं थे। रक्षा मंत्री तथा लोकसभा में उपनेता राजनाथ सिंह ने सदन में सार्थक कामकाज और सुचारू संचालन के लिये सभी दलों से सहयोग मांगा। समझा जाता है कि बैठक में सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार नियमों के तहत लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के सभापति की अनुमति से सभी मुद्दों पर चर्चा कराने को तैयार है।
New Delhi: Vice President and Rajya Sabha Chairman M Venkaiah Naidu chairs a meeting of floor leaders of all parties in the House, a day before the beginning of the winter session of Parliament pic.twitter.com/YQrURzXkFp
— ANI (@ANI) November 28, 2021
बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘‘ सर्वदलीय बैठक में 15-20 महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। सभी दलों ने मांग की कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने पर सरकार तुरंत ध्यान दे।” खड़गे ने कहा, ‘‘ हम सरकार को सहयोग करना चाहते हैं । अच्छे विधेयक आयेंगे, तब हम सरकार का सहयोग करेंगे । अगर हमारी बात नहीं मानी (चर्चा को लेकर) गई, तब सदन में व्यवधान की जिम्मेदारी सरकार की होगी।” खड़गे ने कहा कि कुछ अन्य बड़े मुद्दे हैं, जिन्हें पार्टियों ने उठाया ,जिसमें चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव का मुद्दा भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा देने का विषय तथा महंगाई, पेट्रोल-डीजल एवं वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव का मुद्दा भी बैठक में उठा । उन्होंने कहा कि इसके अलावा बिजली संशोधन विधेयक पर भी सरकार से ध्यान देने को कहा गया है। खड़गे ने कहा, ‘‘हम अपेक्षा कर रहे थे कि बैठक में प्रधानमंत्री आएंगे, लेकिन किसी कारण से वह नहीं आए।” उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री से कृषि कानूनों को लेकर कुछ बातों पर स्थिति स्पष्ट करना चाहते थे।”
खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की और माफी मांगते हुए कहा कि वे किसानों को समझा नहीं पाये । कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इसका अर्थ यह है कि कल किसी दूसरे रूप में इन कानूनों को लाया जायेगा, हम इस पर स्थिति स्पष्ट करना चाहते थे।” उल्लेखनीय है कि सर्वदलीय बैठक में 31 दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। वहीं, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘ सर्वदलीय बैठक में विभिन्न दलों के 42 नेताओं ने हिस्सा लिया। इसमें विभिन्न विषयों पर रचनात्मक चर्चा हुई और विपक्ष की ओर से कुछ अच्छे सुझाव आए। ”
उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष के सकारात्मक सुझावों पर विचार करने और नियमों के तहत अध्यक्ष एवं सभापति की अनुमति से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कराने को तैयार है। जोशी ने कहा, ‘‘ हमने अपील की है कि सदन में बिना किसी व्यवधान के कामकाज हो। विपक्ष ने भी आश्वस्त किया है कि वे सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करेंगे।” प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति पर एक सवाल के जवाब में जोशी ने कहा कि ऐसी सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री के हिस्सा लेने का चलन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के आने के बाद से शुरू हुआ है, पहले ऐसी बात नहीं थी ।
वहीं, वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार से मांग की कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को विधायी समर्थन प्रदान करने के संबंध में विभिन्न पक्षकारों के साथ चर्चा करने के लिये संसद की संयुक्त समिति बनायी जानी चाहिए । वाईएसआर कांग्रेस के राज्यसभा में नेता विजय साई रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टी ने यह भी मांग की कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में समुद्री एवं कुक्कुट उत्पादों को भी लाया जाना चाहिए ।
सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस और द्रमुक ने सुझाव दिया कि सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान महिला आरक्षण संबंधी विधेयक को चर्चा के लिये लाया जाए। इन दलों ने कहा कि यह सही वक्त है जब देश के नीति निर्माण के कार्यो में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए। विपक्षी नेताओं ने पश्चिम बंगाल सहित कुछ राज्यों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने और संघीय ढांचे का मुद्दा भी उठाया। समझा जाता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं-सुदीप बंदोपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन ने लाभकारी सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून लाने का मुद्दा भी उठाया।
बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने 10 बिन्दुओं को उठाया, जिसमें महंगाई, बेरोजगारी, संघीय ढांचे का मुद्दा, मुनाफा कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का विनिवेश, कुछ राज्यों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने, संघीय ढांचे, कोविड-19 की स्थिति तथा महिला आरक्षण विधेयक आदि का मुद्दा शामिल है ।
वहीं, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह बीच में ही बैठक छोड़कर बाहर निकल गए। सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि वे बैठक में किसानों, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के विषय को उठा रहे थे, लेकिन बीच में ही टोका-टोकी की गई । कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बैठक में कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बारे में भी चर्चा हुई ।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमने सरकार से मांग की है कि कोविड महामारी के कारण जान गंवाने वालों को 4 लाख रूपये का मुआवजा दिया जाए। इसके अलावा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को भी मुआवजा दिया जाए।” गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार 29 नवंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर तक चलेगा।(एजेंसी )