MODI-AMIT-SHAH
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    नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न्यूज एजेंसी एएनआई (ANI) को दिए इंटरव्यू में 2002 में गुजरात दंगे पर खुलकर बोले। शनिवार को एएनआई से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा,  मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी। तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी हम कुछ नहीं बोलेंगे। बहुत मजबूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता। 18-19 साल की लड़ाई, देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर सहन कर लड़ता रहा और आज जब अंत में सत्य सोने की तरह चमकता हुआ आ रहा है, तो अब आनंद आ रहा है। जिन लोगों ने मोदी जी पर आरोप लगाए थे अगर उनकी अंतरात्मा है तो उन्हें मोदी जी और बीजेपी नेता से माफी मांगनी चाहिए।

    अमित शाह बोले, मोदी जी से भी पूछताछ हुई थी लेकिन तब किसी ने धरना-प्रदर्शन नहीं किया था और हमने कानून को सहयोग दिया और मेरी भी गिरफ़्तारी हुई थी लेकिन कोई भी धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ था। मोदी जी SIT के सामने कोई नाटक करते हुए नहीं गए थे कि मेरे समर्थन में आओ और धरना दो। हमारा मानना ​​​​था कि हमें कानूनी प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए। अगर SIT सीएम से सवाल करना चाहती है तो सीएम खुद सहयोग करने को तैयार है तो फिर आंदोलन किस चीज का?

    अमित शह बोले, गुजरात में हमारी सरकारी थी लेकिन यूपीए की सरकार ने NGO की मदद की है। सब जानते हैं कि ये केवल मोदी जी की छवि खराब करने के लिए किया गया था।  BJP विरोधी राजनीतिक पार्टियां,कुछ विचारधारा के लिए राजनीति में आए पत्रकार और NGO ने मिलकर आरोपों का इतना प्रचार किया और इसका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि लोग इनको ही सत्य मानने लगे।

    सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज किया है। आप कह सकतें हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने ये सिद्ध कर दिया है कि सभी आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित थे, अमित शाह ने कहा कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थी। NGO ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं है। सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की NGO ये सब कर रही थी। उस समय की आई UPA की सरकार ने NGO की बहुत मदद की है।

    गुजरात दंगों में सेना को बुलाने पर बोले अमित शाह 

    जहां तक गुजरात सरकार का सवाल है हमने कोई लेटलतीफी नहीं की, जिस दिन गुजरात बंद का एलान हुआ था। उसी दिन हमने सेना को बुला लिया था। गुजरात सरकार ने एक दिन की भी देरी नहीं की थी और कोर्ट ने भी इसका प्रोत्साहन किया है। जहां तक गुजरात सरकार का सवाल है हमने सेना को बुलाने में एक दिन की भी देरी नहीं की।

    दंगे होने का मुख्य कारण गोधरा की ट्रेन को जला देना था। 16 दिन की बच्ची को उसकी मां की गोद में बैठे हुए जिंदा जलते हुए मैंने देखा है और मेरे हाथ से मैंने अंतिम संस्कार किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रेन में आग लगने के बाद की घटनाएं पूर्व नियोजित नहीं बल्कि स्वप्रेरित थी और तहलका द्वारा स्टिंग ऑपरेशन को भी खारिज कर दिया क्योंकि इसके आगे-पीछे का जब फुटेज आया तब पता चला कि ये स्टिंग राजनीतिक उद्देश्य से किया गया था। जहां तक दंगों का सवाल है तो आप 5 साल बीजेपी और कांग्रेस के शासन काल की तुलना करें तो पता चल जाएगा कि किसके शासन में अधिक दंगे हुए।