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    नई दिल्ली/मुंबई. राजनीतिक गलितारों में उठ रहे उन्माद के मुताबिक, महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) अब छत्रपति शिवाजी महाराज (Chatrapati Shivaji Maharaj) के अपमान के मामले को लेकर आर-पार की लड़ाई के तेवर दिखा रही है। जी हां, MVA ने शिवाजी महाराज का अपमान करने के लिए एकनाथ शिंदे सरकार (Shinde Goverment) के खिलाफ आगामी 17 दिसंबर को मुंबई में बड़े पैमाने पर विरोध मार्च की घोषणा कर रखी है। इसके साथ ही आगामी मार्च 2023 में महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया जाएगा। इसके अलावा MVA द्वारा महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshiyari) को शिवाजी पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर उन्हें पद से हटाने की भी मांग की जाएगी।

    ANI के मुताबिक अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि, “इस आनेवाले 17 दिसंबर को, हम वर्तमान राज्य सरकार के खिलाफ मुंबई में जीजामाता उद्यान से आज़ाद मैदान तक ‘मोर्चा’ निकालेंगे, और महाराष्ट्र के राज्यपाल को हटाने की भी मांग करेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि “मैं महाराष्ट्र से प्यार करने वाले सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे राज्य का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्ती से एकजुट हों।” इसके बाद पूर्व CM उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा मुद्दे पर भी वर्तमान शिंदे सरकार की जमकर खिंचाई की।

    अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ने शिंदे सरकार पर खूब हमले किए।उन्होंने कहा कि, “आज कर्नाटक हमारे क्षेत्रों, गांवों और यहां तक कि जाठ, सोलापुर पर अपना दावा ठोक रहा है। कल को वे हमारे पंडरपुर विठोबा पर भी अपना दावा करना शुरू करेंगे।” उन्होंने सवाल पूछा कि, “जैसे गुजरात चुनाव से पहले हमारी कुछ जरुरी योजनाएं गुजरात को दे दी गईं तो क्या कर्नाटक चुनाव से पहले हमारे गांव कर्नाटक को ऐसे ही दे दिए जाएंगे?”

    इसके साथ ही वहीं विपक्षी दल के नेता अजीत पवार ने कहा कि ” राज्य में BJP के चलते  शिंदे मुख्यमंत्री बने हैं। वे मुद्दों पर कुछ नहीं बोल रहे हैं और हमारे नेताओं और महाराष्ट्र के आइकन का अपमान करने की भरपूर कोशिश की जा रही है। इसलिए हमें अब एक आंदोलन करने की जरूरत पड़ रही है।”

    जानकारी दें कि महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘पुराने आइकन’ कहे जाने के बाद राज्य में विवाद छिड़ गया था। कोशियारी के इस विवादित बयान के चलते महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर हंगामा शुरू हो गया और मराठा संगठनों और विपक्षी नेताओं ने भी इसकी भरपूर निंदा की। ऐसे में अब MVA द्वारा, शिंदे सरकार के खिलाफ आगामी 17 दिसंबर को मुंबई में मार्च की घोषणा इस विवाद को अब किस तरफ ले जाती है, ये भी एक यक्ष प्रश्न होगा।