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    मुंबई: दुनिया भर में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं (Road Accident) के कारण सुरक्षित कारों की मांग बढ़ी है। उपभोक्ता सुरक्षा (Customer Safety) के कारण कारों को प्राथमिकता देते हैं। इस बीच, भारत सरकार ने अब देश में इम्पोर्टेड कारों (Imported Car) के सुरक्षा परीक्षण (Car Safety Testing) के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। इम्पोर्टेड कारों पर पहले लगने वाली 252% सीमा शुल्क को रद्द कर दिया गया है। इस फैसले से देश में इम्पोर्टेड कारों की टेस्टिंग आसान हो जाएगी। यह ग्लोबल हब बनने में भी मदद करेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitaram) ने बजट 2023 में शून्य सीमा शुल्क की घोषणा की थी। यह फैसला 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी होगा। इससे पहले आयातित कारों पर 252 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगती थी।

    कस्टम ड्यूटी को जीरो करने से कंपनियों को आजादी 

    एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत अब कार सुरक्षा परीक्षण व्यवसाय में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करेगा। पहले कंपनियों को कस्टम ड्यूटी की चिंता नहीं होती थी। लेकिन अब कस्टम ड्यूटी को जीरो करने से कंपनियों को आजादी मिल गई है। भारी उद्योग मंत्रालय ने कहा कि पहले इम्पोर्टेड कारों पर सीमा शुल्क बहुत अधिक था। कारों की कीमत का 252% कस्टम ड्यूटी लगाई जानी थी। इसमें बुनियादी आयात शुल्क, माल ढुलाई और बीमा शुल्क शामिल थे। इतने भारी टैक्स के कारण व्यापार और कई एजेंसियां ​​प्रतिस्पर्धा से बाहर हो रही थीं। इससे टेस्टिंग उद्योग (Testing Industry) प्रभावित हो रहा था।

    कार टेस्टिंग में भारत का छठा स्थान

    दुनिया के केवल पांच देशों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की कार सुरक्षा सुविधा है। इसमें यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, जापान, चीन और ताइवान शामिल हैं। इन देशों में कार परीक्षण सुविधाएं हैं। अब भारत ग्लोबल कार टेस्टिंग सेंटर की मेजबानी करने वाला दुनिया का छठा देश बन गया है। दुनिया भर में जब भी कोई कार कंपनी नई कार बनाती है तो उसे सुरक्षा परीक्षण से गुजरना पड़ता है। ग्लोबल एनसीएपी जैसे कुछ संगठन इसका परीक्षण करते हैं। सुरक्षा के लिए सभी कारों का परीक्षण किया जाता है। कारों को फिर एक सेफ्टी स्टार दिया जाता है। 5 स्टार वाली कार को सबसे सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, लग्जरी कार बनाने वाली कंपनी रोल्स रॉयस सुरक्षा परीक्षण से नहीं गुजरती है। क्योंकि इस कार की कीमत 5 करोड़ से शुरू होती है। सुरक्षा परीक्षण के लिए 4 से 5 कारों की आवश्यकता होती है। संस्थानों को कार खरीदनी है और उसका परीक्षण कराना है। इसलिए इसे खरीदना और टेस्ट करना मुश्किल है।