अब वह गीत निरर्थक हो गया- आदमी मुसाफिर है, आता है जाता है, आते-जाते रास्ते में यादें छोड़ जाता है। इन दिनों मुसाफिर बनना बिल्कुल मुनासिब नहीं है। यदि करोगे 1 घंटे का हवाई सफर तो जाओ 14 दिनों के क्वारंटाइन में।
अब वह गीत निरर्थक हो गया- आदमी मुसाफिर है, आता है जाता है, आते-जाते रास्ते में यादें छोड़ जाता है। इन दिनों मुसाफिर बनना बिल्कुल मुनासिब नहीं है। यदि करोगे 1 घंटे का हवाई सफर तो जाओ 14 दिनों के क्वारंटाइन में। अपनों से दूर बेगाने हो जाओगे, बड़ा पछताओगे! इसलिए अपने गैर ठिकाने जहां भी हो, वहीं आराम से रुके रहो। उस गीत के फरेब मेअकेलापन खाने को दौड़ता होगा। वहां रहकर मत पड़ो जिसके बोल हैं- घर आ जा परदेसी तेरा देस बुलाए रे। यह सोचकर हवाई जहाज से निकलोगे कि बस घंटे भर भी तो फ्लाइट है, सीधा घर पहुंचूंगा। मम्मी, पापा, बीवी बच्चों से मिलूंगा। जहां एयरपोर्ट पर लैंडिंग हुई और बाहर निकलने को हुए तो तुरंत पकड़कर क्वारंटाइन भेज दिए जाओगे। इस देश में कभी किसी को 14 साल के वनवास भेजा जाता था।लेकिन अब सीधे 14 दिन के एकांतवास में पहुंचा दिया जाता है। आइंस्टाइन जैसे वैज्ञानिक ने भी कभी क्वारंटाइन के बारे में नहीं सोचा होगा। अंतरिक्ष यात्रियों को वापसी पर क्वारंटाइन किया जाता था ताकि वे पुन: पृथ्वी के वतावरण के अभ्यस्त हो सके लेकिन अब तो हवाई यात्री भी क्वारंटाइन होने लगे। यह कोरोना का करिश्मा है कि किसी ने घर वापसी के लिए हवाई सफर किया तो उतरते ही उसे क्वारंटाइन में डला। क्वारंटाइन में समय बिताना कठिन हो जाता होगा। अकेलापन खाने को दौड़ता होगा। वहां रहकर यही लगता होगा दिल में मची हलचल, कैसे कटेगा हर पल-हर पल!