भारत सहित विश्व के अनेक देशों की आय का एक प्रमुख जरिया पर्यटन है। कोरोना संकट ने सारी दुनिया में पर्यटन की संभावनाओं पर पानी फेर दिया। पर्यटन उद्योग से करोड़ों व्यक्ति जुड़े हैं जो बेरोजगारी झेलने को विवश हैं।
भारत सहित विश्व के अनेक देशों की आय का एक प्रमुख जरिया पर्यटन है। कोरोना संकट ने सारी दुनिया में पर्यटन की संभावनाओं पर पानी फेर दिया। पर्यटन उद्योग से करोड़ों व्यक्ति जुड़े हैं जो बेरोजगारी झेलने को विवश हैं। इनमें एयरलाइंस, ट्रेन सेवा, ट्रैवल व टैक्सी सर्विस, होटल उद्योग, फेरी या बोट सेवा, गाइड, पर्यटकों को सांस्कृतिक कार्यक्रम व करतब दिखानेवाले लोक कलाकार, हैंडीक्राफ्ट तथा अन्य वस्तुएं बेचनेवाले दूकानदार जैसे कितने ही बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कोई नहीं जानता कि यह आपदा कब दूर होगी और सामान्य स्थिति कब लौटेगी। इस वर्ष विश्व के पर्यटन कारोबार में 70 प्रतिशत की गिरावट आएगी। इसका असर उन देशों पर सबसे ज्यादा पड़ेगा जो काफी हद तक पर्यटन की कमाई पर ही निर्भर रहते हैं। कोरोना की वजह से अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाओं पर कुठाराघात हुआ है। पर्यटन तो दूर रहा, लोग एक से दूसरे शहर में भी जाने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं कि क्वारंटाइन न होना पड़े। पर्यटन उद्योग में आपातकालीन स्थितियों में भी 10 से 20 प्रतिशत की गिरावट आई थी लेकिन कोरोना ने तो सब कुछ चौपट करके रख दिया। जो लोग स्विटजरलैंड, इटली, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका जाने की इच्छा रखते थे, वे भी बुरी तरह सहम गए हैं। माहौल ऐसा है कि सारी प्रगति धरी रह गई और हम कई शताब्दी पीछे चले गए हैं। घूमने, खरीदारी के उत्साह पर भी पानी फिर गया। यूएन वर्ल्ड टूरिज्म आर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार नौकरियों पर भारी खतरा आ गया है। पर्यटन यदि होगा भी तो बहुत सीमित सैलानी भी कार या ट्रेन की बजाय विमान से सफर करेंगे। ग्रीन कोरिडोर में पर्यटक आ सकते हैं परंतु उनकी तादाद बहुत कम होगी। भारत में आगरा का ताजमहल, राजस्थान के महल व किले देखने, दक्षिण भारत के केरल, कर्नाटक, गोवा जानेवाले देशी-विदेशी पर्यटक शायद अब उंगलियों पर गिनने लायक ही रह जाएंगे। मंदी में पर्यटन पहले ही हतोत्साहित हो गया था। अब उस पर कोरोना ने और गाज गिराई।