America moves towards autocratic dictatorship

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन की जीत के बावजूद डोनॉल्ड ट्रम्प हार मानने को तैयार नहीं हैं.

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जो देश अपना अतीत भूल जाते हैं और व्यर्थ के मुगालते में रहते हैं, वे खुद अपनी कब्र खोदने का काम करते हैं. अमेरिका में वाशिंगटन, लिंकन, जेफरसन और रूजवेल्ट जैसे गौरवशाली राष्ट्रपतियों की ख्याति रही है जिन्होंने देश को विश्व का महान लोकतंत्र व महाशक्ति बनाने में नींव के पत्थर की भूमिका निभाई. आज उसी अमेरिका में लोकतंत्र की मट्टीपलीद हो रही है. इतना बड़ा देश गृहयुद्ध जैसी स्थितियों से जूझ रहा है और कोई आश्चर्य नहीं कि वहां निरंकुश तानाशाही आ जाए. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन की जीत के बावजूद डोनॉल्ड ट्रम्प हार मानने को तैयार नहीं हैं.

यह ट्रम्प का दुराग्रह है कि वे व्हाइट हाउस छोड़ना ही नहीं चाहते, जबकि उन्हें 20 जनवरी के पहले सत्ता से हट जाना है और उसके पहले तमाम सरकारी विभागों का दायित्व नए राष्ट्रपति बाइडन की टीम के हवाले कर देना है. ट्रम्प जानबूझकर राष्ट्रपति चुनाव को लेकर संदेह का वातावरण बनाते रहे हैं और अब तो हद हो गई जब बाइडन की जीत की पुष्टि करने बैठी अमेरिकी कांग्रेस (संसद) को चुनौती देते हुए ट्रम्प के हजारों समर्थकों ने व्हाइट हाउस के बाहर भारी भीड़ कर दी. इस बहुत बड़े जनसमूह ने ट्रम्प के उस दावे का समर्थन किया कि नवंबर में हुए चुनाव में धोखाधड़ी की गई थी.

अमेरिका के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई पराजित राष्ट्रपति नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को सत्ता सौंपने से इनकार करता नजर आए. यह अत्यंत अलोकतांत्रिक व अभद्र तौर-तरीका है. ट्रम्प अपने महान लोकतंत्र की गरिमा पर कालिख पोतने का काम कर रहे हैं. ट्रम्प को उनके वर्णभेदी और षडयंत्रकारी समर्थकों का साथ मिला हुआ है. अमेरिका के जिन-जिन राज्यों में चुनाव में कांटे की टक्कर थी और शुरू में ट्रम्प को लीड मिली थी, वहां उनके समर्थक जीत का दावा कर रहे हैं.

बुरी तरह बौखला गए हैं ट्रम्प

जार्जिया राज्य में जीत के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी का सीनेट में नियंत्रण बढ़ रहा है. व्हाइट हाउस के बाहर जमा ट्रम्प समर्थकों ने ‘वोट चुराना बंद करो’ के नारे लगाए. ट्रम्प ने ट्वीट किया- ‘अमेरिका की चुनाव प्रक्रिया तीसरे विश्व (एशियाई देशों) की पद्धति से भी गई-गुजरी है.’ ट्रम्प ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया जबकि जार्जिया के चुनाव अधिकारियों ने चुनाव साफ-सुथरा होने का दावा किया. अमेरिका के अटलांटा, ड्रेट्रायट और फिलाडेल्फिया में अश्वेत वोटों की बड़ी तादाद है जो कि डेमोक्रेट समर्थक हैं. ड्रेमोक्रेट को व्हाइट हाउस के अलावा सीनेट व हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव में भी जीत हासिल हुई है. अब वे अपना आर्थिक एजेंडा आगे बढ़ाने की स्थिति में होंगे. यद्यपि सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी के बराबर 50-50 सदस्य हैं लेकिन उपराष्ट्रपति व सीनेट की अध्यक्ष के तौर पर कमला हैरिस का 1 वोट डेमोक्रेट की मदद करेगा.

माइक पेन्स को धमकी दी

उपराष्ट्रपति माइक पेन्स ने ट्रम्प से साफ शब्दों में कहा कि उनके पास इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों को निरस्त करने का कोई अधिकार नहीं है तो ट्रम्प ने पेन्स को धमकी दी कि उनका राजनीतिक भविष्य बरबाद कर दिया जाएगा. अमेरिका की जटिल चुनाव पद्धति तथा हर राज्य के वोटों का अलग मतमूल्य तथा गोरों के वर्चस्व के मुकाबले अश्वेतों की बढ़ती महत्वाकांक्षा इस देश को राजनीतिक अस्थिरता की ओर ले जा रही है. जार्जिया में प्रथम अश्वेत सीनेटर राफेल वारनाक चुने गए जो कि डेमोक्रेट हैं. यदि ट्रम्प अब भी अकड़ दिखाते हैं तो बाइडन को सख्ती दिखानी होगी. अमेरिकी रक्षा संस्थान पेंटागन के पूर्व प्रमुखों ने ट्रम्प से कह दिया है कि वे अपने स्वार्थ के लिए सेना का इस्तेमाल नहीं कर सकते. अब व्हाइट हाउस में उनके दिन गिने-चुने रह गए हैं.