अमित शाह की नजर अब महाराष्ट्र पर

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    कोरोना महामारी (Coronavirus) और राजनीतिक चालें बराबरी से चल रही हैं जिनके बीच इंसानी सरोकार गुम होते जा रहे हैं. प्रतिशोध भावना से प्रेरित बीजेपी के शीर्ष नेताओं का सबसे बड़ा सपना यही है कि भारत में विपक्ष का अस्तित्व न रहे तथा हर राज्य में बीजेपी (BJP) का परचम लहराए. 2014 में जब अमित शाह (Amit Shah) बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे तो उन्होंने कांग्रेस मुक्त भारत को अपना लक्ष्य घोषित किया था. इसके बाद ऑपरेशन लोटस के तहत कांग्रेस सरकारें गिराने या कांग्रेस के मुंह से निवाला छीनने की मुहिम छेड़ी गई. लोकतंत्र में विपक्ष का अस्तित्व जरूरी है लेकिन बीजेपी अपनी एकछत्र हुकूमत चाहती है. विपक्ष का वजूद ही उसे अखरता है.

    बीजेपी ने दलबदल को बढ़ावा देते हुए कर्नाटक और मध्यप्रदेश में सत्ता हासिल की. कर्नाटक में जदसे की कुमारस्वामी सरकार कांग्रेस के दबाव में छटपटा रही थी. वहां की राजनीतिक स्थितियों का फायदा उठाकर बीजेपी ने येदियुरप्पा के नेतृत्व में अपनी सरकार बना ली. मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के असंतोष का पूरा फायदा बीजेपी ने उठाया. सिंधिया व उनके समर्थकों के बीजेपी में शामिल होने से कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई और शिवराजसिंह चौहान की सरकार ने फिर सत्ता संभाल ली. गोवा में कांग्रेस ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी थी. वह इस भ्रम में रही कि अकेले सबसे बड़ी पार्टी होने से राज्यपाल उसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे. इस दौरान बीजेपी ने अन्य छोटी पार्टियों से गठबंधन कर अपना दावा पेश किया और प्रमोद सावंत के नेतृत्व में सरकार बन गई. बंगाल में भी बीजेपी ने टीएमसी के शुभेंदु अधिकारी व अन्य बागी नेताओं को अपने पाले में लिया. बिहार के समान ही बंगाल में बीजेपी के पास मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं है लेकिन उद्देश्य यही है कि सरकार बने तो उस पर बीजेपी का शिकंजा कसा रहे.

    बीजेपी की छटपटाहट

    महाराष्ट्र पर बीजेपी की नजरें टिकी हुई हैं. विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस बार-बार कहते हैं कि मैं फिर सत्ता में आऊंगा. इधर अमित शाह ने बयान देते हुए कहा कि महाराष्ट्र की आघाड़ी सरकार अपने बोझ से गिरेगी. हम इसे उखाड़ फेंकने का कोई प्रयास नहीं करेंगे, यह अपने आप टूट जाएगी. इस कथन से लगता है कि बंगाल चुनाव निपटने के बाद बीजेपी इसी दिशा में सक्रिय हो जाएगी कि कैसे उद्धव सरकार गिराई जाए. चूंकि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी मानी जाती है इसलिए महाराष्ट्र काबिज करने की बीजेपी की छटपटाहट समझी जा सकती है. एनसीपी नेता व राज्य के आवास मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि अमित शाह महाविकास आघाड़ी को अपवित्र गठबंधन कहते हैं लेकिन जब कश्मीर में बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती के साथ गठबंधन किया, तब किस पवित्र रिश्ते से जुड़े थे? अमित शाह कोई ब्रह्मदेव नहीं हैं कि जो कहें वह सच हो जाए.

    सेंध लगाना आसान नहीं

    महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार में सेंध लगा पाना बीजेपी के लिए कदापि आसान नहीं है. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कदम मजबूती से जमा लिए हैं. शरद पवार जैसे अनुभवी नेता का उन्हें मार्गदर्शन व संरक्षण प्राप्त है. एनसीपी और शिवसेना की सत्ता में अच्छी खासी साझेदारी है. तीसरी पार्टी कांग्रेस सरकार में शामिल रहकर खुश है. उसके लिए जितना मिल गया, उतना ही काफी है. शिवसेना के साथ बीजेपी की वर्षों तक युति रही लेकिन अब सत्ता समीकरण अलग हैं. शिवसेना का हिंदुत्व और एनसीपी-कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता गठबंधन में कहीं बाधक नहीं है. हर पार्टी का स्वार्थ जुड़ा हुआ है. ऐसे में सरकार गिरने का अमित शाह का ख्वाब कैसे पूरा होगा?