जब रक्षा क्षेत्र का कोई कांट्रैक्ट समय पर पूरा नहीं होता और उसमें विलंब होता चला जाता है तो ऐसा ठेका क्यों कायम रखा जाए!
जब रक्षा क्षेत्र का कोई कांट्रैक्ट समय पर पूरा नहीं होता और उसमें विलंब होता चला जाता है तो ऐसा ठेका क्यों कायम रखा जाए! रक्षा मंत्रालय ने अनिल अंबानी की रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग कंपनी (आरएनईएल) को दिया गया 2,500 करोड़ रुपये का ठेका रद्द कर दिया जिसके तहत भारतीय नौसेना को गश्ती जहाजों (पेट्रोल बोट्स) की सप्लाई करनी थी. रिलायंस ग्रुप और रक्षा मंत्रालय के बीच 5 गश्ती जहाजों की आपूर्ति को लेकर 2011 में समझौता हुआ था. रिलांयस इस काम को पूरा कर पाने में विफल रहा. अनिल अंबानी का यह ठेका रद्द होने के बावजूद उनका रफाल विमान बनानेवाली फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट के साथ अभी भी कार्य जारी है. उसे विमान के कॉकपिट बनाने का ठेका मिला हुआ है. जहां तक रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग का मामला है, उसके खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की अहमदाबाद बेंच में दिवालिया प्रक्रिया चल रही है. ट्रिब्यूनल ने उसके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी है. लेनदारों ने आरएनईएल पर 43,587 करोड़ रुपये का दावा किया है. विभिन्न 12 कंपनियों ने रिलायंस नेवल को खरीदने की इच्छा जताई है. इनमें भारतीय के अलावा अमेरिकी व रूसी कंपनियां भी शामिल हैं.