असम-मिजोरम विवाद और गहराया केंद्र का हस्तक्षेप आवश्यक

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    पूर्वोत्तर में असम और मिजोरम के बीच चल रहा विवाद उग्र होता चला जा रहा है. इसमें केंद्र सरकार ने शीघ्र प्रभावी हस्तक्षेप नहीं किया तो गृहयुद्ध जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं. असम की ओर से हाईवे को रोक दिए जाने से मिजोरम को जीवनावश्यक वस्तुओं की पूर्ति नहीं हो पा रही है. मिजोरम से सटे लैलापुर कस्बे में बैरिकेड लगा दिए गए हैं, जिस कारण जरूरी सामान से लदे ट्रकों की लंबी लाइन लगी है और वे मिजोरम नहीं जा पा रहे हैं. दूसरी ओर असम ने आरोप लगाया कि मिजोरम जाने वाले ट्रकों से नशीले पदार्थों की तस्करी की जाती है. इसके अलावा मिजोरम के अतिक्रमणकारियों ने बंकर बना लिए हैं तथा सीमा पर तनाव गहराता जा रहा है. पूर्वोत्तर अशांत रहा तो चीन वहां और उथल-पुथल करवा सकता है. इसलिए पूर्वोत्तर सीमा आयोग बनाकर विवाद सुलझाए जाने चाहिए.

    असम का जोर इस बात पर है कि मिजोरम पुलिस ने लाइट मशीन गन का इस्तेमाल किया, जबकि मिजोरम का कहना है कि असम पुलिस ने उनकी सीमा में घुसकर उनकी एक चौकी ध्वस्त कर दी. इस झड़प में असम पुलिस के 5 जवानों और एक नागरिक की मौत हो गई थी और करीब 60 लोग घायल हो गए थे. तथ्य यह है कि असम पुलिस ने वैरेंगते स्थित सीआरपीएफ चौकी को पार कर भड़काने वाली कार्रवाई की, जिसके जवाब में मिजोरम पुलिस ने फायरिंग की. आखिर दोनों राज्यों के बीच टकराव की वजह क्या है?

    सभी राज्यों से सीमा विवाद

    तथ्य यह है कि पूर्वोत्तर के प्रायः सभी राज्यों का असम के साथ सीमा विवाद चल रहा है, जिससे अलग होकर इनका निर्माण हुआ था. पिछले साल सितंबर में भाजपा की अगुआई वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (एनईडीए) की गुवाहाटी में हुई बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, ‘हम जब बांग्लादेश के साथ सीमा संबंधी विवाद सुलझा सकते हैं, तो फिर पूर्वोत्तर के राज्य अपना अंतरराज्यीय सीमा विवाद क्यों नहीं सुलझा सकते?’ शाह ने गलती से यह मान लिया था कि समान राजनीतिक पहचान जातीय समूहों की गहरी जातीय-राष्ट्रवादी और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को मिटा देगी, जो इन संघर्षों की जड़ में है. पहले मेघालय और मिजोरम असम के जिले थे. खासी, गारो और जयंतिया पहाड़ी जिलों को अलग कर मेघालय का अलग राज्य के रूप में निर्माण किया गया था. वहीं लुसाई पहाड़ी जिलों को अलग कर मिजोरम का निर्माण किया गया. 

    1956 में भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के समय पूर्वोत्तर को स्पर्श नहीं किया गया था, जिससे जातीय समुदायों की आकांक्षाएं आहत हुईं. नतीजतन नगाओं सहित कुछ वर्गों ने स्वतंत्र संप्रभु राज्य के निर्माण के लिए विद्रोह कर दिया. जैसे-जैसे अलगाववादी आंदोलन नगा पहाड़ियों से क्षेत्र के अन्य हिस्सों में फैलने लगे, मिजोरम को 1972 में असम से अलग कर केंद्र शासित क्षेत्र बनाया गया और फिर 1986 में पूर्ण राज्य. 

    अपने-अपने दावे

    असम स्वतंत्रता मिलने के बाद तय की गई सीमाओं पर जोर देता है. लेकिन नगालैंड और मेघालय जैसे राज्य ऐतिहासिक सीमा को अपने अधिकार क्षेत्र में मानते हैं. असम और नगालैंड 434 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं. असम का आरोप है कि नगालैंड ने उसकी 66,000 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर रखा है. दूसरी ओर नगाओं का दावा है कि ब्रिटिश ने वर्ष 1826 में जब असम पर कब्जा किया था, तब यह हिस्सा नगा हिल से स्थानांतरित कर दिया गया था. इसी तरह, मेघालय असम के कार्बी आंगलोंग जिले के दो ब्लॉकों में उम्मत सहित 356 गांवों पर अपना दावा करते हुए कहता है कि ये 1835 में बनाई गई तत्कालीन यूनाइटेड खासी और जयंतिया हिल्स का हिस्सा थे. इसी तरह के अनेक दावे और प्रतिदावे हैं, जिन्हें लेकर सीमा पर तनाव होते रहते हैं.