बज गया चुनाव का बिगुल, बंगाल व असम पर नजर रहेगी खास

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    आखिर 4 राज्यों व 1 केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव का बिगुल बज ही गया. इनमें से बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) पर देशवासियों की सर्वाधिक टकटकी लगी रहेगी, जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को बीजेपी कड़ी चुनौती देने के लिए पूरी जोर आजमाइश करेगी. चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने यहां चुनावी माहौल बनाने में कसर बाकी नहीं रखी.

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit shah)ओर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) की सभाओं के अलावा पीएम नरेंद्र मोदी भी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती तथा शांति निकेतन को भेंट जैसे विभिन्न अवसरों पर बंगाल में अपनी उपस्थिति दर्शाते रहे हैं. तृणमूल के अनेक नेता पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में 19 सीटें जीतने के बाद से बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. यद्यपि पिछले 2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की 211 सीटों के मुकाबले बीजेपी को सिर्फ 3 सीटें मिली थीं लेकिन इस बार वह बंगाल में एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. वहां कांग्रेस और लेफ्ट का गठबंधन तथा ओवैसी की पार्टी भी ममता का खेल बिगाड़ सकते हैं.

    असम में बीजेपी पहले ही सत्तारूढ़ है. मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) और हिमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma0 जैसे नेताओं की क्षमता पर पार्टी को पूरा भरोसा है. 126 सदस्यीय असम विधानसभा में अभी बीजेपी की 60 सीटें हैं. वहां बीजेपी अपनी जीत दोहराने की उम्मीद रखती है. कांग्रेस का जोर नागरिकता कानून के विरोध पर होगा तथा वह अल्पसंख्यक वोटों के समर्थन की उम्मीद करेगी. असम गण परिषद, आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट तथा बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट भी अपनी ताकत दिखाएंगे. तमिलनाडु में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ एआईएडीएमके तथा डीएमके के बीच होगा. वहां की जनता इन द्रविड़ पार्टियों को ही अदल-बदल कर सत्ता सौंपती रही है. कांग्रेस या बीजेपी वहां प्रभावहीन हैं.

    केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच मुख्य रूप से चुनावी मुकाबला होता आया है. देखना होगा कि क्या लेफ्ट अपने इस अंतिम किले को बचा पाता है? केरल की 140 सदस्यीय विधानसभा में अभी लेफ्ट की 78 सीटें हैं. केंद्र शासित पुडुचेरी में कांग्रेस की नारायणसामी सरकार गिरने के बाद किसी भी दल ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया. वहां 30 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में बीजेपी अपने लिए सफलता की उम्मीद कर सकती है. यदि वहां उसे कामयाबी मिली तो दक्षिण में कर्नाटक के बाद उसका एक और प्रदेश में परचम लहरा जाएगा. चुनाव के दौरान बंगाल और असम में कानून व्यवस्था की चुनौती बनी रहेगी. इसी वजह से बंगाल में 8 चरणों में चुनाव होगा. हिंसा की घटनाएं न होने पाएं, इसके लिए चुनाव आयोग पर्याप्त सावधानी बरतेगा. यह चुनाव दिखाएंगे कि बीजेपी का जनता पर कितना असर है और कांग्रेस में कितनी ताकत बची हुई है.

    कोरोना के बीच होने वाले इस चुनाव में विशेष सावधानी बरतनी होगी. मतदान अधिकारियों को वैक्सीन लगाना अनिवार्य होगा. प्रचार के लिए भी कम लोगों को अनुमति होगी. उम्मीदवार सहित केवल 5 लोगों को प्रचार के लिए जाने दिया जाएगा. मतदान केंद्रों पर भीड़ न होने पाए तथा मास्क व सामाजिक दूरी का पालन हो, इसका ध्यान रखना होगा.