जहां संगठित श्रमशक्ति है, वहां सरकार को झुकना ही पड़ता है.
जहां संगठित श्रमशक्ति है, वहां सरकार को झुकना ही पड़ता है. रेलकर्मियों की एकजुटता से सहम कर केंद्र सरकार ने उन्हें 78 दिनों के वेतन के बराबर की रकम बोनस के रूप में देने की घोषणा की. ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) ने डायरेक्ट एक्शन शुरू करते हुए 2 घंटे तक देश में रेल सेवाएं ठप करने की धमकी दी थी. रेलकर्मी देशव्यापी प्रदर्शन भी कर रहे थे. ऐसी हालत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पात्र गैर-राजपत्रित रेल कर्मचारियों को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए उत्पादकता से जुड़े बोनस (प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस) के भुगतान को मंजूरी दे दी. इस फैसले से लगभग 11.58 लाख नॉन-गैजेटेड रेल कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. बोनस के रूप में सभी को करीब 17,951 रुपए का भुगतान किया जाएगा. ट्रेन व मालगाड़ियों को पटरी पर दौड़ाने के लिए पूरे देश में 10 लाख से ज्यादा रेल कर्मचारी काम करते हैं. इनमें ट्रेन चालक, गार्ड, स्टेशन मास्टर, टीटीई, बुकिंग क्लर्क, पार्सल क्लर्क, फिटर, मेकैनिक, गैंगमैन, लाइनमैन, सिग्नलमैन, पोर्टर, कोच अटेंडेंट आदि का समावेश है. रेलवे देश की लाइफलाइन है. एक समय था जब रेलवे की नौकरी सबसे बढ़िया समझी जाती थी. रेलवे के अपने स्कूल, क्वार्टर, प्लेग्राउंड व अस्पताल हैं. कर्मचारियों को सपरिवार रियायती यात्रा सुविधा उपलब्ध है. रेलवे के ए-ग्रेड मेल ट्रेन ड्राइवर को काफी अच्छी सैलरी मिलती है. आमतौर पर रेलकर्मियों को बोनस का भुगतान दुर्गापूजा के पहले कर दिया जाता है लेकिन इस वर्ष कोरोना संकट की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाया था. अब मांगें मंजूर हो जाने से रेलकर्मी यूनियनों का प्रदर्शन समाप्त हो गया तथा हड़ताल वापस ले ली गई. वैसे कोरोना की वजह से लंबे समय तक ट्रेनों का संचालन बंद रखा गया. उस दौरान काम भी नहीं था. अब धीरे-धीरे स्पेशल ट्रेनें छोड़ी जाने लगी हैं. रेलवे यूनियन से बड़े-बड़े नाम जुड़े हुए हैं. पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी भी रेलवे के बड़े ट्रेड यूनियन नेता थे. जार्ज फर्नांडीस के नेतृत्व में सबसे लंबी रेल हड़ताल हुई थी. बाद में वे केंद्रीय मंत्री बने.