छत्तीसगढ़ ने नवनिर्माण रोका, केंद्र सेंट्रल विस्टा पर क्यों अड़ा?

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    क्या भीषण कोरोना संकट के बीच सेंट्रल विस्टा देश की प्राथमिकता हो सकती है? चाहे तो देशवासियों का जनमत संग्रह करा लिया जाए. व्यावहारिक दृष्टिकोण रखनेवाला हर व्यक्ति कहेगा कि पहले जनता को इस जानलेवा महामारी से छुटकारा दिलाया जाए, सेंट्रल विस्टा तो कभी भी बनाया जा सकता है. क्या केंद्र सरकार के जिम्मेदार बड़े नेताओं को भी अर्जेन्सी और प्रायोरिटी के बारे में परामर्श देने की आवश्यकता है? सेंट्रल विस्टा के पीछे दूरदर्शिता व भविष्य की आवश्यकताओं की फिक्र होगी लेकिन जब वर्तमान ही अत्यंत चिंताजनक है तो तरजीह किसे दी जानी चाहिए? 

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नया रायपुर में जारी सभी बड़े निर्माण कार्यों, जिनमें प्रस्तावित नया विधानसभा भवन भी शामिल है, पर तत्काल रोक लगाकर एक अच्छी मिसाल कायम की है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि हमारे नागरिक हमारी प्राथमिकता हैं. यह है मानवीय दृष्टिकोण! नया रायपुर के सेक्टर-24 में राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, मंत्रियों व अफसरों के बंगलों के साथ 164 आवास बनाए जाने थे. 

    14 एकड़ में राजभवन और 8 एकड़ में सीएम निवास बनने वाला था. कोरोना आपदा आने के पूर्व ही इन निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया गया था. 2 वर्षों में निर्माण कार्य पूरा होने का लक्ष्य था लेकिन मुख्यमंत्री ने विवेक का परिचय देते हुए न केवल निर्माण कार्य रद्द कर दिया, बल्कि नए विधानसभा भवन के लिए जारी टेंडर भी निरस्त कर दिया.

    किसे ज्यादा जरूरत थी

    देश की राजधानी दिल्ली में पहले ही राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, संसद की भव्य इमारत है. नार्थ ब्लाक, साउथ ब्लाक भी हैं. ब्रिटिश शासन काल में एडविन लैंडसीर लुटियंस और हर्बर्ट बेकर नामक वास्तुविदों के मार्गदर्शन में इनका निर्माण हुआ था. आज भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष आते हैं तो हमारे संसद भवन और राष्ट्रपति भवन को देख मुग्ध हो जाते हैं. बलुआ पत्थर (सैंडस्टोन) से बनी ये इमारतें सचमुच शानदार व गौरवपूर्ण हैं. 

    इनमें कोई ऐसा क्षरण या टूटफूट नहीं है कि इनका तत्काल विकल्प तैयार किया जाए. इसके विपरीत मध्यप्रदेश से अलग होकर बने छत्तीसगढ़ राज्य में 2002 में तो कुछ भी नहीं था. रायपुर जैसे छोटे से शहर को राजधानी का रूप देना जरूरी था. इतने वर्षों में ऐसा किया भी गया लेकिन भव्यता तथा सरकार व प्रशासन की जरूरतों के लिहाज से नया रायपुर बनाना आवश्यक हो गया था. इतने पर भी कोरोना महामारी के दौरान जनहित को प्राथमिकता देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नए निर्माण पर रोक लगा दी.

    जल्दी में क्यों हैं मोदी?

    प्रधानमंत्री मोदी जो ठान लेते हैं, उसे पूरा किए बगैर चैन नहीं लेते. उन्होंने विश्व में सबसे ऊंची सरदार पटेल की प्रतिमा बनवाई जो आकार में अमेरिका के स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को बहुत पीछे छोड़ देती है. अब वे भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक जो कि अगले वर्ष है, नया संसद भवन बनवाने में लगे हैं जो उनके मुताबिक नए भारत की आशा-आकांक्षाओं के अनुरूप होगा. नए संसद भवन में लोकसभा का आकार वर्तमान लोकसभा से 3 गुना होगा. 

    इसी तरह राज्यसभा का आकार भी बढ़ेगा. 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में नए संसद भवन का निर्माण होगा. भविष्य में सांसदों की तादाद बढ़ने पर इसका औचित्य रहेगा. यह तर्क अपनी जगह हो सकता है कि ब्रिटिश पार्लियामेंट और अमेरिका की संसद (कैपिटल बिल्डिंग) वैसी ही है. ब्रिटिश पीएम का निवास 10,डाउनिंग स्ट्रीट और अमेरिकी प्रसिडेंट का निवास व्हाइट हाउस सदियों से वही है. उन्होंने तो नया कुछ भी नहीं बनाया, फिर भारत में यह क्यों जरूरी हो गया?

    यह है प्रधानमंत्री का तर्क

    पीएम का तर्क है कि सेंट्रल विस्टा में सभी मंत्रालय आसपास रहेंगे और पूरा सिस्टम सेंट्रलाइज्ड रहेगा. राजपथ के दानों तरफ के इलाके को सेंट्रल विस्टा कहते हैं. पीएम हाउस, राष्ट्रपति भवन, संसद, नार्थ ब्लाक, साउथ ब्लाक के अलावा इसमें नेशनल म्यूजियम, नेशनल आर्काइव्ज, बीकानेर हाउस, हैदराबाद हाउस, निर्माण भवन आदि का भी समावेश होगा.