पेट्रोल 90 रुपए प्रति लीटर को पार कर गया.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड आइल) की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट के बाद जनता पेट्रोल-डीजल के दामों में राहत की उम्मीद कर रहे थे लेकिन केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपए और डीजल पर 13 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी और बढ़ा दी. पेट्रोल 90 रुपए प्रति लीटर को पार कर गया. पिछले 7 वर्षों में कभी भी दिसंबर महीने में पेट्रोल के दाम इतनी ऊंचाई पर नहीं गए थे. तेल कंपनियों को भाव तय करने की छूट दी गई है जिससे लोगों की जेब बुरी तरह खाली हो रही है मुंबई में भी पेट्रोल 89.52 रु. तथा डीजल 77.66 रुपए रहा. पहले रोज पेट्रोल डीजल के भाव तय किए जाते थे लेकिन फिर 15 दिनों में इसकी समीक्षा होने लगी. देखा जाए तो रिफायनरी से निकलने के बाद पेट्रोल के 25 से 30 रुपए के बीच रहते है परंतु उसमें केंद्रीय व राज्य का आबकारी कर, अन्य ड्यूटीज स्थानीय कर आदि मिलाकर दाम काफी बहुत अधिक बढ़ जाते हैं. फिर भी डीलर की शिकायत बनी रहती है कि उनका कमीशन काफी कम है. जब क्रूड सस्ता हुआ था तो सरकार ने अतिरिक्त इंधन संग्रह के लिए भंडार भी बनाए थे ताकि बाद में होनेवाली मूल्यवृद्धि का मुकाबला किया जा सके. इतना स्टाक जमा होने पर भी पेट्रोल डीजल महंगा होता चला जा रहा है. सरकार अपने टैक्स में कोई कमी नहीं करना चाहती. कोरोना संकट की वजह से पहले ही आर्थिक दृष्टि में लोगों का बुरा हाल है. कितने ही लोग छटनी की वजह से बेरोजगार हुए हैं और जो नौकरी में हैं उनका वेतन घटा है. ऐसी हालत में पेट्रोल महंगा होना अत्यंत अन्यायपूर्ण है. शहरों का विस्तार होने से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी टू व्हीलर रखने को विवश है. क्या सरकार लोगों को फिर साइकिल युग में वापस लाना चाहती है. पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से बस किराया व ट्रक भाड़ा भी बढ़ सकता हैं.