दूसरी लहर में कोरोना हुआ और विकराल

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    गत वर्ष सितंबर में कोरोना काफी खतरनाक हो चुका था लेकिन उसके बाद पिछले 6 महीनों में बरती गई ढिलाई बहुत महंगी पड़ी. लोगों ने मान लिया कि संकट दूर हो गया और मास्क पहनने, हाथ धोने और सामाजिक दूरी को लेकर लापरवाही बरतनी शुरू कर दी. बाजारों में शॉपिंग के लिए भीड़ उमड़ने लगी. केंद्र व राज्य सरकारों को भी भ्रम या मुगालता हो गया कि वायरस कमजोर पड़ चुका है और हालात सामान्य हो रहे हैं. इसी दौरान कोरोना की दूसरी लहर आ गई और अपने बदले हुए रूप के साथ यह महामारी और भी विकराल हो गई. 

    संक्रमितों और मृतकों का आंकड़ा बढ़ता ही चला जा रहा है. हर कोई भयभीत है क्योंकि वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस हवा के साथ फैलता है. नेता, खिलाड़ी, अभिनेता भी इसकी चपेट में आने लगे हैं. कोरोना छोटे-बड़े, अमीर-गरीब किसी को नहीं छोड़ रहा है. जो भी व्यक्ति किसी संक्रमित के संपर्क में एक मिनट के लिए भी आया, वह कोरोना पाजिटिव हो गया.

    पिछले वर्ष जब कोरोना का प्रकोप हुआ था तब हम इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे. इसके बाद कोरोना की वैक्सीन ईजाद हुई तथा दवाइयों का उत्पादन होने लगा जिससे लोगों का ढाढस बंधा. इतने पर भी कहना होगा कि पिछले 6-7 महीनों में जो समय मिला, उसमें केंद्र और राज्य ढंग से चिकित्सा व्यवस्था नहीं कर पाए. 

    इन दौरान टीका व औषधि निर्माण में तेजी लाने के अलावा बड़े पैमाने पर कोविड अस्पतालों व आक्सीजन प्लांट का निर्माण करना चाहिए था. स्वास्थ्य नियमों को सख्ती से लागू करते हुए संक्रमण की चेन तोड़नी थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया. बहुमूल्य समय व्यर्थ ही गंवा दिया गया. जब हालात बेकाबू हो गए तो सरकार बगलें झांकने लगी.

    80 देशों को वैक्सीन निर्यात-

    देश में वैक्सीन की कमी केंद्र सरकार की अदूरदर्शिता से हुई. ‘घर फूंक तमाशा देख’ की नीति पर चलते हुए केंद्र सरकार ने 80 देशों को कोरोना की वैक्सीन का निर्यात किया. यह व्यर्थ की दरियादिली थी और पीएम मोदी सारी दुनिया को अपनी महान इमेज दिखाना चाहते थे. उस समय यह नहीं सोचा कि 130 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में ही वैक्सीन का टोटा पड़ जाएगा. अमेरिका ने वैक्सीन बनानेवाले कच्चे माल की सप्लाई रोक दी. वैक्सीन निर्माता अदार पूनावाला ने वैक्सीन निर्माण में तेजी लाने के लिए रकम की मांग की, वह भी उन्हें नहीं दी गई.

    हालात बेहद चिंताजनक-

    कोरोना ने ऐसी जबरदस्त छलांग लगाई है कि 24 घंटे में 2,61,000 से ज्यादा नए केस सामने आए हैं और 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. स्मशान और कब्रस्तान में जगह कम पड़ गई है. सरकारी व निजी अस्पतालों में बेड़ खाली नहीं हैं. आक्सीजन, वेंटिलेटर व दवाइयों की कमी देखी जा रही है. यह सब इसलिए है क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर का मुकाबला करने के लिहाज से पिछले 6 महीनों में कोई तैयारी ही नहीं की गई. सबकुछ सामान्य मानकर 5 राज्यों में चुनाव व कुंभ मेले को अनुमति दी गई जहां भारी भीड़ जमा हुई. देश के 10 राज्यों में स्थिति चिंताजनक हो गई है. टीके, दवा, आक्सीजन, बेड व डाक्टर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं.