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    ऐसे समय जब कोरोना के इलाज के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दवा रेमडेसिविर की भारी मांग है और उसकी सप्लाई काफी कम है, तब उसकी जमाखोरी और कालाबाजारी की खबरें चर्चा में हैं. सरकार ने भी इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी है. कोई राजनीतिक पार्टी क्या राज्य सरकार को दरकिनार कर सीधे इस दवा को खरीद सकती है? बीजेपी यही कर रही है. इसी दौरान महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार और विपक्षी पार्टी बीजेपी के बीच ठन गई है. मुंबई पुलिस ने रेमडेसिविर दवा के स्टॉक को लेकर ब्रुक फार्मा कंपनी के मालिक राजेश डोकानिया को पूछताछ के लिए बुलाया तो एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के तहत पूर्व मुख्यमंत्री व नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस तथा बीजेपी नेता प्रवीण दरेकर रात में पुलिस स्टेशन पहुंच गए. 

    इसे लेकर अल्पसंख्यक मंत्री व एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि ऐसी क्या बात है कि बीजेपी के बड़े नेता एक कारोबारी को हिरासत में लेने से इतना घबरा गए? बीजेपी क्यों जमाखोरी की वकालत कर रही है? कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि मुंबई पुलिस के पास ऐसी सूचना है कि ब्रुक फार्मा के पास रेमडेसिविर के 60,000 इंजेक्शन हैं. इस दवा के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध के बाद कंपनी को इस बात की जानकारी सरकारी एजेंसियों को देनी चाहिए थी. मुंबई पुलिस ने 4.75 करोड़ के रेमिडिसिविर इंजेक्शन जब्त किए जो गुजरात की कंपनी गुप्त रूप से ले जा रही थी.

    नवाब मलिक का आरोप-
    नवाब मलिक ने कहा कि केंद्र द्वारा निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत के 16 निर्यातकों को उनके पास मौजूद 20 लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के लिए केंद्र से अनुमति नहीं मिल रही है. राज्य सरकार ने इन 16 कंपनियों से इस दवा के बारे में पूछताछ की तो केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र को रेमडिसिविर की सप्लाई पर रोक लगा दी. यह जानकारी इन कंपनियों ने दी है. ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र सरकार के पास इन कंपनियों का स्टाक जब्त कर जरूरतमंदों को देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

    केंद्रीय मंत्री ने खंडन किया-
    केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख मांडवीय ने नवाब मलिक के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार महाराष्ट्र शासन के अधिकारियों से नियमित संपर्क में है और इस दवा की पूर्ति में मदद कर रही है.

    फडणवीस की सफाई-
    देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि एक मंत्री के ओएसडी ने अपरान्ह में ब्रुक फार्मा के अधिकारियों को फोन कर पूछा कि वह विपक्षी पार्टियों की अपील पर कैसे रेमडिसिविर की आपूर्ति कर रहा है? शाम को अचानक 10 पुलिस वाले उसे पकड़ने चले गए. यह कल्पना के बाहर था. हम पुलिस थाने में यह पूछने गए थे कि उसका अपराध क्या है?

    गुजरात में मुफ्त इंजेक्शन-
    गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने गत 10 अप्रैल को कहा था कि बीजेपी कार्यालय के मार्फत 5,000 रेमडिसिवर इंजेक्शन कोरोना संक्रमितों के रिश्तेदारों को मुफ्त में उपलब्ध कराए जाएंगे. जिन इंजेक्शन की उपलब्धता गुजरात सरकार नहीं कर सकती, वे बीजेपी कार्यालय में उपलब्ध थे. इस बारे में जब गुजरात के सीएम विजय रुपानी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में सीआर पाटिल से पूछिए.

    गुजरात के अनुभव को देखकर महाराष्ट्र के बीजेपी नेता सतर्क हो गए. विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर व प्रसाद लाड कुछ दिन पहले दमन जाकर ब्रुक फार्मा कंपनी के अधिकारियों से मिले. कंपनी ने बीजेपी को 50,000 इंजेक्शन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया. फडणवीस ने कहा कि यह इंजेक्शन हम महाराष्ट्र सरकार को देने वाले थे. इस बारे में राज्य के अन्न व औषधि प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिंगणे के साथ बैठक भी हुई थी. बीजेपी ने यह इंजेक्शन जनता तक पहुंचाने के लिए इसकी खरीदी की.

    कुछ सुलगते सवाल-
    फडणवीस ने राज्य सरकार को आपूर्तिकर्ता की जानकारी क्यों नहीं दी और सरकार के माध्यम से खरीद में मदद क्यों नहीं की? दवा की भारी कमी के बीच बीजेपी अपने कार्यालय में (गुजरात के समान) 4.55 करोड़ रुपए के रेमडिसिविर का स्टाक क्यों जमा कर रही थी? जब केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को रेमडिसिविर की आपूर्ति बंद की तो राज्य सरकार को जानकारी न देते हुए बीजेपी नेता फडणवीस को खरीदी की अनुमति कैसे दी गई? फडणवीस व बीजेपी को पार्टी कार्यालय से रेमडिसिविर वितरण की अनुमति दे रही मोदी सरकार महाराष्ट्र सरकार को इस दवा की सप्लाई नहीं कर रही है. जीवनरक्षक दवा को लेकर यह कैसी विचित्र और पक्षपातपूर्ण राजनीति है?