रेड्डी के अनुसार रमन्ना उनकी सरकार को अस्थिर करने में नायडू का साथ दे रहे हैं.
देश में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी मुख्यमंत्री ने किसी जज के खिलाफ चीफ जस्टिस से शिकायत की. आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को 8 पन्नों का पत्र लिखकर शिकायत की कि सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना और आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के कुछ जज आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू के साथ मिलकर वर्तमान सरकार को गिराना चाहते हैं. रेड्डी के अनुसार रमन्ना उनकी सरकार को अस्थिर करने में नायडू का साथ दे रहे हैं. वह आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के कामकाज के काम में हस्तक्षेप कर रहे हैं और जजों को प्रभावित कर रहे हैं. जगन ने सीजेआई से मांग की कि आंध्रप्रदेश में न्यायपालिका की तटस्थता को बरकरार रखें. मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने आरोप लगाया कि आंध्रप्रदेश की नई राजधानी अमरावती में जमीन के लेन-देन को लेकर राज्य के पूर्व एडवोकेट जनरल दम्मलपति श्रीनिवास के खिलाफ जो जांच बैठी, उस पर हाई कोर्ट ने स्टे दे दिया जबकि एंटीकरप्शन ब्यूरो ने श्रीनिवास के खिलाफ एफआईआर तक दायर कर दी थी. गत 15 सितंबर को हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो की ओर से पूर्व एडवोकेट जनरल श्रीनिवास के खिलाफ दर्ज एफआईआर के विवरण की मीडिया में रिपोर्टिंग नहीं की जाए. इस संबंध में कोई समाचार किसी भी इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया में सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. एंटीकरप्शन ब्यूरो अमरावती में जस्टिस रमन्ना की 2 बेटियों से संबंधित कथित भूमि सौदे की जांच कर रहा था. वह सौदा अमरावती को राजधानी का स्थान घोषित करने से पहले हुआ था.
आंध्रप्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेके माहेश्वरी ने अपने आदेश में कहा था कि अंतरिम राहत (इंटेरिम रिलीफ) के माध्यम से यह निर्देश दिया जाता है कि किसी भी आरोपी के खिलाफ इस रिट याचिका को दायर करने के बाद एफआईआर दर्ज करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाएगा. जांच अभी रुकी हुई है. एफआईआर और विवरण को रोक दिया गया है. इस संबंध में कोई खबर मीडिया में प्रकाशित-प्रसारित नहीं की जा सकती.
ऐसा कई महीनों से चल रहा है
जगन मोहन रेड्डी ने अपने पत्र में लिखा कि यह सिलसिला 1 दिन या 1 महीने से नहीं बल्कि काफी पहले से चल रहा है. रेड्डी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को यह पत्र 6 अक्टूबर को लिखा था. रेड्डी उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर लौटे थे. उन्होंने दिल्ली में पीएम से राज्य के विकास और आंध्रप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत फंड के बारे में बातचीत की थी. माना जा रहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री को भी वह सारी बातें बताई होंगी कि कैसे उनकी सरकार गिराने की साजिश की जा रही है.
पत्र मीडिया को जारी किया गया
जगनमोहन रेड्डी की सीजेआई को लिखी चिट्ठी उनके प्रमुख सलाहकार अजेय कल्लाम की ओर से जारी की गई. इस पत्र में उन अवसरों का भी उल्लेख किया गया है, जब तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) से जुड़े मामलों को कुछ खास जजों को सौंपा गया. इसके साथ यह भी कहा गया कि मई 2019 में वाईआरएस कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने पर जब से चंद्राबाबू नायडू की सरकार की ओर से जून 2014 से मई 2019 के बीच के सभी तरह के सौदे या व्यवहार की जांच के आदेश दिए गए हैं, तभी से जस्टिस एनवी रमन्ना न्याय प्रशासन को प्रभावित करने में लगे हुए हैं.
लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ
लोकतंत्र के 3 स्तंभों में न्यायपालिका सबसे महत्वपूर्ण है. यद्यपि न्यायपालिका का काम उन कानूनों का पालन करवाना है जिन्हें संसद या विधानमंडल ने बनाया है लेकिन साथ ही न्यायपालिका को यह भी अधिकार है कि वह किसी कानून की न्यायिक समीक्षा कर सकती है अथवा उसकी खामियों को लेकर संकेत कर सकती है. स्वतंत्र भारत में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने न्यायपालिका के एक सदस्य के आचरण की ओर उंगली उठाई है. यह एक गंभीर स्थिति है. सीजेआई ही इसका कोई निदान निकाल सकते हैं. जगनमोहन रेड्डी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के नंबर 2 जज के खिलाफ चिट्ठी लिखना न केवल गंभीर बल्कि अभूतपूर्व मामला है.
सुप्रीम कोर्ट की कोई प्रतिक्रिया नहीं
सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की. गत माह जस्टिस रमन्ना ने सुको की पूर्व न्यायाधीश आर. भानुमति की पुस्तक लांच करते हुए कहा था कि जज अपने बचाव में कुछ कहने में आत्म नियंत्रण बरतते हैं. उन्हें आसानी से आलोचना का निशाना बनाया जाता है. सोशल मीडिया और टेक्नालॉजी के विस्तार की वजह से यह मुद्दा और गंभीर हो गया है.