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अमेरिका के मिनिसोटा राज्य के मिनियापोलिस में अश्वेत अमेरिकी जार्ज फ्लायड की पुलिस के हाथों मौत का मामला इतना तूल पकड़ गया कि लाखों प्रदर्शनकारी सड़कों पर आ गए।50 में से 40 राज्यों के 140 शहरों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं।

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अमेरिका के मिनिसोटा राज्य के मिनियापोलिस में अश्वेत अमेरिकी जार्ज फ्लायड की पुलिस के हाथों मौत का मामला इतना तूल पकड़ गया कि लाखों प्रदर्शनकारी सड़कों पर आ गए।50 में से 40 राज्यों के 140 शहरों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं।राजधानी वाशिंगटन डीसी सहित 40 शहरों में कर्फ्यू लगाना पड़ा।4000 से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए गए।प्रदर्शन में 51 सीक्रेट सर्विस एजेंट घायल हुए हैं।यह आंदोलन मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या के समय 1968 में हुए तीव्र प्रदर्शन के समान आंका जा रहा है।

अमेरिका में भले ही सिविल राइट्स लागू होने के बाद से श्वेत-अश्वेत सभी नागरिकों को बराबरी का संवैधानिक हक मिल गया है लेकिन यह ज्वलंत सत्य है कि वहां एक भी महीना ऐसा नहीं बीतता जब पुलिस के हाथों किसी अश्वेत की मौत नहीं होती।पिछले 7 वर्षों से अमेरिकी पुलिस की बर्बरता से 7,666 अश्वेतों (अफ्रीकी-अमेरिकन) की मौत हो चुकी है।वहां की पुलिस पर बार-बार नस्लभेद का आरोप लगता रहा है।

अश्वेतों का योगदान
इन्हीं अश्वेतों ने ओलम्पिक खेलों में अमेरिका को कई पदक दिलवाए हैं।हैवीवेट बाक्सिंग में भी वे ही आगे रहे हैं।माइक टायसन, होलीफील्ड, कैशियस क्ले (मोहम्मद अली), फ्लायड पैटरसन जैसे अश्वेत मुक्केबाजों की धाक रही है।रॉक म्यूजिक में भी माइकल जैक्सन जैसे अश्वेतों का नाम रहा है।बराक ओबामा अमेरिका के पहले व एकमात्र अश्वेत राष्ट्रपति रहे हैं।अमेरिका की तरक्की में अफ्रीकी-अमेरिकन आबादी की बड़ी भूमिका है जिनके पूर्वजों को गुलाम बनाकर अफ्रीका से लाया गया था।अमेरिकी पुलिस प्राय: अश्वेतों के प्रति बेहद सख्त रवैया अपनाती है।पहले भी मिसीसिपी, अलाबामा, अटलांटा, जार्जिया, अरकंसा जैसे दक्षिणी राज्यों की अश्वेत आबादी पर काफी जुल्म हुए थे।मार्टिन लूथर किंग जूनियर के सिविल राइट्स आंदोलन पर भी काफी दमनचक्र चला था।तब आंदोलनकारियों पर पानी की तेज धार छोड़ने, आंसू गैस के गोले दागने, गोली चलाने की घटनाएं हुई थीं।कठोर संघर्ष के बाद अश्वेतों को समानता का अधिकार व वोटिंग राइट्स मिले लेकिन अब भी उन्हें पुलिस संदेह की नजरों से देखती है।यह बात भुला दी जाती है कि विज्ञान, चिकित्सा, प्रशासन, कानून, लेखन, शिक्षा आदि क्षेत्रों में कितने ही अफ्रीकी अमेरिकन ने काफी नाम कमाया है।बेन जानसन जैसे बास्केटबाल खिलाड़ी व उसेन बोल्ट जैसे धावक का विश्व रिकार्ड है।

ट्रम्प डरे और बौखलाए
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प घबराहट में व्हाइट हाउस के बंकर में जा घुसे जो कि परमाणु हमले से सुरक्षा के लिए बनाया गया है।ट्रम्प को मीडिया ने ‘बंकर डॉन’ और ‘बंकर प्रेसीडेंट’ भी करार किया।व्हाइट हाउस से कई किलोमीटर दूर तक कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है।व्हाइट हाउस की छत पर भी हमेशा शार्प शूटर तैनात रहते हैं।वहां किसी बाहरी व्यक्ति का फटकना संभव नहीं है फिर भी ट्रम्प भयभीत और बदहवास हो गए हैं।उन्होंने वीडियो कान्फ्रेंस में राज्यों के गवर्नरों से कहा- आप सब मूर्ख और कमजोर हैं।आप को प्रदर्शनकारियों पर सख्ती से हावी होना चाहिए।ट्रम्प ने कहा कि ये प्रदर्शनकारी टेररिस्ट हैं।इनका पत्थर फेंकना गोली दागने के समान है।आपको इनसे बदला लेना चाहिए।

टॉप सीईओ द्वारा विरोध
इस दौरान टॉप अमेरिकी कंपनियों के सीईओ ने रंगभेद का कड़ा विरोध करते हुए एकजुटता दिखाई।माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई तथा एपल के सीईओ टिम कुक ने नस्लीय समानता का समर्थन किया।उन्होंने कहा कि वर्णभेद का अमेरिका में कोई स्थान नहीं है।टिकटॉक, नेटफ्लिक्स व प्राइम वीडियो जैसी वीडियो सर्विस ने भी रंगभेद के प्रति कड़ा विरोध जताया।

जार्ज फ्लायड कैसे मरा
46 वर्षीय अश्वेत अमेरिकी जार्ज फ्लायड के खिलाफ ‘डेली’ स्टोर के एक कर्मचारी ने 911 पर फोन कर शिकायत की कि उसने 20 डालर का जाली नोट देकर सिगरेट खरीदा है।इसके 17 मिनट बाद पुलिस आई।3 पुलिस वालों ने जार्ज फ्लायड को पटक दिया और डेरेक शाविन नामक गोरा पुलिस अधिकारी उसकी गरदन पर घुटना रखकर 8 मिनट 46 सेकंड तक बैठा रहा।वह जार्ज के बारे में कह रहा था कि यह काफी मजबूत आदमी है।जार्ज फ्लायड ने कहा कि वह सांस नहीं ले पा रहा है लेकिन उसकी नहीं सुनी गई।जब तक अन्य पुलिस कर्मी डेरेक शाविन का घुटना हटाते, तब तक जार्ज फ्लायड की जान जा चुकी थी।

पहले भी ऐसी घटनाएं हुई थीं 
1992 में रोडनी किंग नामक अश्वेत की बुरी तरह पिटाई कर मौत के घाट उतारने वाले 4 पुलिस अधिकारियों को अदालत द्वारा बरी किए जाने से लॉस एंजिल्स में दंगे भड़के थे।2014 में 18 वर्षीय अश्वेत युवक माइकल ब्राउन की पुलिस की गोली से मौत के बाद मिसूरी राज्य के फर्ग्युसन में हिंसक आंदोलन हुआ था।