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राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों का बढ़ता टकराव संघीय व्यवस्था व लोकतंत्र के हित में नहीं है. संवैधानिक प्रमुख के रूप में राज्यपाल की अपनी गरिमा होती है. उसका राज्य सरकार के मुखिया से विवाद होना ही क्यों चाहिए! किसी एक नहीं, बल्कि अनेक राज्यों में ऐसी स्थिति देखी जा रही है. दिल्ली में अधिकारों की खींचतान को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग से काफी तकरार हुई. केजरीवाल ने तो राजभवन जाकर धरना भी दिया था. जब से अनिल बैजल दिल्ली के उपराज्यपाल बने, तब से शांति बनी हुई है.

पुडुचेरी में मुख्यमंत्री नारायणसामी (V. Narayanasamy) की उपराज्यपाल किरण बेदी से जरा भी नहीं पटती. बेदी पर अनावश्यक दखलंदाजी का आरोप लगाया जाता है. बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच पूरी तरह छत्तीस का आंकड़ा है. दोनों के बीच बातचीत तक नहीं होती. राज्यपाल को जाधवपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित करने जाना था लेकिन ममता बनर्जी ने हेलिकाप्टर उपलब्ध नहीं कराया, जिस वजह से राज्यपाल को कार से लंबी यात्रा करनी पड़ी थी. पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से ममता को खास शिकायत नहीं थी लेकिन जबसे धनखड़ राज्यपाल बने, उनकी ममता से हर बात पर ठन जाती है. मुख्यमंत्री मानती हैं कि धनखड़ उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए बीजेपी के एजेंट के तौर पर कार्य कर रहे हैं. महाराष्ट्र में भी शिवसेना नेतृत्व की महाविकास आघाड़ी सरकार और राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के बीच कुछ मुद्दों पर तनाव देखा जाता रहा है. अब पंजाब में भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) और राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर आमने-सामने आ गए हैं. राज्य में किसान आंदोलन के दौरान 1600 मोबाइल टावरों की तोड़फोड़ को गंभीरता से लेते हुए राज्यपाल ने राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को समन किया तो मुख्यमंत्री इन अधिकारियों के बचाव में उतर आए. प्रश्न उठता है कि क्या राज्यपाल सीनियर अधिकारियों को सीधे तलब कर सकते हैं? बीजेपी नेता मनोरंजन कालिया व तरुण चुग की राय है कि राज्यपाल को ऐसा करने का अधिकार है जबकि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि पंजाब न तो बंगाल है, और न ही पुडुचेरी जहां राज्यपाल स्थानीय राजनीति में दखल दे रहे हैं.

अमरिंदर के तीखे बोल

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि अगर राज्यपाल को कानून-व्यवस्था की जानकारी लेनी ही थी तो सीधे मुझसे लेते क्योंकि पंजाब का गृह विभाग मेरे पास है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल बीजेपी के प्रोपगेंडा या दुष्प्रचार में फंस गए हैं और हमारे अफसरों को तलब किया. मोबाइल टावरों की मरम्मत की जा सकती है लेकिन दिल्ली बार्डर पर मरने वाले किसानों को वापस नहीं लाया जा सकता. सीएम ने राज्यपाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने बीजेपी नेताओं के कानून-व्यवस्था के मुद्दे को लेकर की गई शिकायत पर मात्र एक दिन में प्रतिक्रिया दे दी लेकिन विधानसभा द्वारा पास बिलों को राष्ट्रपति के पास भेजने में उन्होंने काफी देर लगा दी.

महाराष्ट्र में भी नाराजगी

महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार ने विधान परिषद में मनोनयन के लिए 12 नामों की सूची भेजी लेकिन लंबा समय बीत जाने पर भी राज्यपाल कोश्यारी ने उस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया. उसके पहले अभिनेत्री कंगना रनौत की राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात पर भी शिवसेना ने नाराजगी जताई थी. कंगना अपना आफिस तोड़े जाने की शिकायत को लेकर राज्यपाल से मिली थीं. शिवसेना का आरोप है कि राज्यपाल का झुकाव बीजेपी की ओर बना हुआ है जो कि राज्य सरकार को अस्थिर करने की साजिश कर रही है.

केंद्र के संकेतों पर चलते हैं

राज्यपाल केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त होने से उसके संकेतों के अनुरूप कार्य करते देखे गए हैं. यदि राज्यपाल किसी राज्य में कानून-व्यवस्था भंग हो जाने की रिपोर्ट भेज दे तो उसके आधार पर केंद्र वहां राष्ट्रपति शासन लगा सकता है. जिन राज्यों में विपक्ष की सरकारें हैं, वहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री की आपस में नहीं बनती. कुछ राज्यपाल अपनी सीमा लांघकर राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल को भी बढ़ावा देते हैं. राज्य की निर्वाचित सरकारों को राज्यपाल का ऐसा रवैया हमेशा खटकता है.