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फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने अपने कर्मचारियों से बातचीत के दौरान हिंसा भड़काने वाले पोस्ट को हटाने को लेकर कंपनी की नीति का उल्लेख किया।

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अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रम्प और उनकी सरकार, फेसबुक से नाराज हैं। फेसबुक की स्पष्टवादिता उन्हें अखरती है। ट्रम्प की अप्रसन्नता मीडिया व सोशल प्लेटफार्म के रवैये से भी रही है जो उनके खिलाफ आलोचनात्मक रवैया अपनाते हैं। अमेरिका के बाद अब भारत में भी सरकार और फेसबुक आमने-सामने हैं। फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने अपने कर्मचारियों से बातचीत के दौरान हिंसा भड़काने वाले पोस्ट को हटाने को लेकर कंपनी की नीति का उल्लेख किया। मीडिया रिपोर्ट में जुकरबर्ग के लीक ऑडियो का हवाला देते हुए दावा किया गया कि उन्होंने यह कहा कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के बयान से दिल्ली में हिंसा भड़की थी। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एकपक्षीय मानक उचित नहीं होगा। मार्क जुकरबर्ग को इसके लिए माफी मांगनी पड़ेगी। उनका प्लेटफार्म हिंसा, अलगाववाद और अराजकता को प्रसारित करने का माध्यम बने, ऐसी उनकी नीति नहीं होनी चाहिए। अमेरिका के मिनियापोलिस में अश्वेत जार्ज फ्लायड की मौत के बाद प्रदर्शनों को लेकर राष्ट्रपति ट्रम्प के तीखे बयानों को नहीं हटाए जाने पर आलोचना का सामना कर रहे मार्क जुकरबर्ग ने अपने कर्मचारियों को बताया कि किस तरह फेसबुक इस तरह की सामग्री हटाती रही है। उन्होंने दावा किया कि विश्व में सरकारी अधिकारियों के ऐसे कितने ही उदाहरण हैं, जिनसे जुड़ी बातों को हमने हटा दिया। भारत में भी ऐसे केस हुए हैं। जुकरबर्ग ने कपिल मिश्रा का नाम न लेते हुए कहा कि मिसाल के तौर पर किसी ने कहा था कि यदि पुलिस इस बात का ध्यान नहीं रखेगी तो हमारे समर्थक गलियों को खाली करा देंगे। जुकरबर्ग अप्रत्यक्ष रूप से एनआरसी के विरोध में शाहीनबाग धरने के दौरान हुई घटनाओं की ओर संकेत कर रहे थे।