खटाई में पड़ सकते हैं जिप-पंस उपचुनाव, आरक्षण रद्द होने से OBC में उबाल

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    सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण के साथ ही ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण भी रद्द कर दिया जबकि महाराष्ट्र में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की तादाद काफी है और राज्य सरकार में भी इस वर्ग के अनेक मंत्रियों का समावेश है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है. इस वजह से महाराष्ट्र की 5 जिला परिषदों और 33 पंचायत समितियों के ओबीसी सदस्यों के चुनाव अपने आप रद्द हो गए हैं. इससे खाली हुई 200 सीटों को खुले प्रवर्ग (ओपन कैटेगरी) से भरे जाने के लिए चुनाव आयोग ने हाल ही में चुनाव कार्यक्रम घोषित किया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार नागपुर, अकोला, वाशिम, नंदूरबार और धुलिया की जिला परिषदों के अंतर्गत आने वाली 33 पंचायत समितियों के खाली हो चुके पदों के लिए 19 जुलाई को मतदान होना है. इस फैसले से ओबीसी नेताओं में भारी असंतोष व नाराजगी है. बीजेपी भी इसके विरोध में खुलकर सामने आ गई है. उसने बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है.

    महाराष्ट्र मंत्रिमंडल की बैठक में ओबीसी मंत्रियों छगन भुजबल और विजय वडेट्टीवार ने चुनाव आयोग के कदम पर तीव्र नाराजगी जताई. इन सब बातों पर गौर करते हुए ठाकरे सरकार शीघ्र ही चुनाव आयोग से निवेदन करेगी कि इन चुनावों को स्थगित कर दिया जाए. राज्य सरकार के मुख्य सचिव के जरिए चुनाव आयोग के पास दरखास्त भेजी जाएगी कि जिला परिषद व पंचायत समिति चुनाव टाल दिए जाएं.

    बीजेपी जमकर बरसी

    बीजेपी का कहना है कि जब तक ओबीसी आरक्षण का मुद्दा नहीं सुलझता, तब तक राज्य में कोई चुनाव नहीं होना चाहिए. विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आघाड़ी सरकार के निकम्मेपन से ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण खत्म हो गया. राज्य के मंत्रियों ने कहा कि जब तक यह आरक्षण बहाल नहीं होता, तब तक चुनाव नहीं होने देंगे. लेकिन इसके अगले ही दिन जिला परिषद-पंचायत समिति चुनाव की घोषणा हो जाती है. यह एक बड़ा विश्वासघात है. इसे ओबीसी के राजनीतिक जीवन को खत्म करने का षडयंत्र ही कहा जाएगा. इसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे और तीव्र आंदोलन करेंगे. चुनाव हर हालत में रद्द होना ही चाहिए.

    भुजबल का जवाबी प्रहार

    खाद्य मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि युति सरकार ने इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया. जब कोरोना नहीं था तब देवेंद्र सरकार ने पहल करते हुए डाटा क्यों नहीं एकत्र किया? फडणवीस आगे आकर केंद्र सरकार से कहें कि वह ओबीसी पर डाटा उपलब्ध कराए. केंद्र के इस आशय के जवाब के बाद कि कोरोना की वजह से जनगणना कराना संभव नहीं था, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी. भुजबल ने कहा कि ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर वे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भेंट करेंगे.

    सरकार पर बहानेबाजी का आरोप

    बीजेपी नेता पंकजा मुंडे ने कहा कि एम्पीरिकल डाटा उपलब्ध न होने का बहाना बनाकर ओबीसी को चुनाव प्रक्रिया से दूर रखा जा रहा है. अगर डाटा नहीं मिल रहा है तो तुरंत चुनाव रद्द कर देने चाहिए. घरकुल योजना तथा सरकार की इस समय चल रही योजनाओं से यह डाटा आसानी से हासिल किया जा सकता है. सरकार सिर्फ बहानेबाजी कर रही है. उपचुनाव कराने के इस फैसले के खिलाफ बीजेपी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.