MPSC परीक्षा टालने के फैसले पर तकरार कैसी चल रही सरकार!

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    महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग (एमपीएससी) (Maharashtra Public Service Commission (MPSC) की परीक्षा ‘तारीख पे तारीख’ की तर्ज पर लगातार टलती आ रही है. पिछले 3 वर्षों में आयोग ने एक भी परीक्षा नहीं ली है. अब तक 4 बार परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाई जा चुकी है. कोरोना (Corona) के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए एमपीएससी ने 14 मार्च को होने वाली प्रिलिम्स या राज्य सेवा पूर्व परीक्षा को ऐन समय पर रद्द कर दिया. इससे छात्र में भारी आक्रोश देखा गया. नागपुर, पुणे, अहमदनगर, कोल्हापुर व जलगांव, नाशिक लातूर, नांदेड समेत कई शहरों में छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन कर सरकार पर अपनी नाराजगी जाहिर की. विदर्भ में नागपुर के अलावा, अमरावती, चंद्रपुर, गडचिरोली, भंडारा, वर्धा, यवतमाल में भी विद्यार्थी सड़कों पर उतर आए.

    छात्रों का असंतोष वाजिब है. दिनों दिन उनकी उम्र बढ़ती जा रही है तथा अवसर सीमित हो रहे हैं. निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित है्. सरकारी नौकरी के लिए महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग परीक्षा लेता है. अब इतने वर्षों से उसने परीक्षा नहीं ली तो छात्रों का भड़कना स्वाभाविक है. ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों व कृषि मजदूरों की संतानें अधिकारी बनने के उद्देश्य से पुणे, औरंगाबाद व नागपुर जैसे शहरों में किराए से कमरा लेकर, एमपीएससी परीक्षा की रात दिन तैयारी करते हैं. उनको हर माह 10-15 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है. लेकिन बार-बार परीक्षा रद्द कर दी जाती है. उनकी आशा पर तुलारापात हो जाता है. छात्रों ने सवाल उठाया है कि इस परीक्षा के पहले स्वास्थ्य विभाग की ओर से परीक्षा ली गई. लाकडाउन के दौरान यूपीएससी व जेईई जैसी परीक्षाएं ली गई तो यही परीक्षा भी ली जा सकती थी आयोग ने विद्यार्थियों (Students) को परीक्षा सेंटर चुनने की छूट भी दी थी. छात्रों ने सेंटर भी चुन लिए थे. ऐसा होते हुए भी परीक्षा रद्द कर दी गई.

    यह कैसी धांधली

    राज्यसेवा पूर्व परीक्षा की तारीख 11 जनवरी को घोषित की गई थी. देश में कोरोना वैक्सीन का वितरण 16 जनवरी को शुरु हुआ. परीक्षा की घोषणा की तारीख व परीक्षा रद्द करने की तारीख के बीच 59 दिनों का फासला था. इन 59 दिनों में राज्य सरकार के अधिकारी-कर्मचारी क्या कर रहे थे? आगामी 7-8 दिनों में सभी परीक्षा कर्मचारियों को कोरोना की वैक्सीन (Corona vaccine) लगाई जाएगी तो क्या रह काम पहले नहीं हो सकता था? 72 घंटे पहले परीक्षा रद्द करने की घोषणा से छात्रों पर कितना मानसिक और आर्थिक बोझ आया होगा. यह सरकारी मशीनरी की आवेदनशीलता ही है. इसका परिणाम लाखों छात्र-छात्राओं को भोगना पड़ रहा है. सरकार की दलील है कि परीक्षा रूम तैयार करने और वहां उत्तर पत्रिका पहुंचाने का काम कोरोना मुक्त कर्मचारियों को करना चाहिए इसलिए उन्हें वैक्सीन लगाना जरूरी है. यह भी आश्वासन दिया गया कि इस विलंब से जिन छात्रों की आयु मर्यादा के बाहर जाएगी, उनके लिए शर्त शिथिल कर दी जाएगी. परीक्षा में उम्र की शर्त को लेकर चिंता न की जाए.

    इसके पहले सितंबर और अक्टूबर 2020 में भी आयोग ने परीक्षा ऐन मौके पर रद्द कर दी थी. इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना की वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है परंतु फिर भी आवश्यक सावधानी बरतते हुए परीक्षा करवाने का निर्णय लिया जा सकता है.

    यह पहली बार नहीं है कि एमपीएससी ने इस तरह की मनमानी की. इसके पहले भी एमपीएससी ने राज्य सरकार को जानकारी दिए बगैर एसईबीसी छात्रों की नियुक्तियों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. उनके भड़कने के बाद एमपीएससी ने अपनी याचिका वापस लेने की घोषणा की थी.

    विपक्ष के नेताओं का सवाल

    कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौव्हाण ने कहा कि जब महाराष्ट्र विधान मंडल का अधिवेशन और शादी समारोह आयोजित हो सकते हैं तो फिर परीक्षा का आयोजन क्यों नहीं हो सकता? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि कई संकटों का सामना करते हुए बड़ी संख्या में छात्र एमपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. ऐसे में छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह परीक्षा जरूर आयोजित की जानी चाहिए.