महाराष्ट्र के अस्पताल हैं या मौत के घर

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    चरम पर है जानलेवा लापरवाही! आखिर ये सब हो क्या रहा है? महाराष्ट्र के अस्पताल हैं या मौत के घर, जहां जाने के बाद मरीज जिंदा वापस नहीं आ पाता. नाशिक के जाकिर हुसैन अस्पताल में ऑक्सीजन टैंक का रिसाव होने से प्राणवायु नहीं मिल पाने के कारण 25 मरीजों की तड़पकर मौत के समाचार की स्याही भी नहीं सूख पाई थी कि राज्य के पालघर जिले के विरार वेस्ट में विजय वल्लभ कोविड सेंटर के आईसीयू में भीषण आग लगने से वहां भर्ती 15 में से 14 मरीजों की मौत हो गई. क्या अतिदक्षता विभाग में ऐसी ही दक्षता बरती जाती है? यह हादसा शुक्रवार तड़के 3.25 बजे हुआ. मरीजों के परिजनों का सनसनीखेज आरोप है कि जब आग लगी तो अस्पताल का स्टाफ मरीजों को अंदर छोड़कर भाग निकला. ऐसे में परिजनों ने खुद मरीजों को बाहर निकालने की कोशिश की.

    स्वास्थ्य मंत्री का शर्मनाक बयान

    14 मरीजों की आग लगने से हुई मौत के बारे में जब महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे से पूछा गया कि वे प्रधानमंत्री के साथ आज की मीटिंग में किन-किन मुद्दों पर बात करेंगे तो उन्होंने कहा कि हम ऑक्सीजन और रेमडेसिविर के बारे में बात करेंगे. विरार में जो घटना हुई, वह कोई नेशनल न्यूज नहीं है.

    होते रहें हादसे, हम सिर्फ जांच बैठाने के लिए हैं

    ऐसे दर्दनाक हादसे होने पर सरकार यही आश्वासन देती है कि घटना की जांच की जाएगी. क्या सरकार सिर्फ जांच बैठाने के लिए है? वह ऐसे पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं करती कि ऐसी दुर्देवी घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने पाए? कब तक लोगों को बेमौत मरने दिया जाता रहेगा? अभी पिछले महीने मुंबई के भांडुप इलाके में एक मॉल की तीसरी मंजिल पर अनधिकृत रूप से बने कोविड अस्पताल में आधी रात को आग लगी थी. इस अग्निकांड में 10 लोगों की मौत हुई थी व 70 मरीजों को सुरक्षित बाहर निकालकर दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया था. तब भी घटना की जांच करने की बात की गई थी.

    लाक्षागृह बन रहे अस्पताल

    कोरोना के इलाज वाले देश के कई अस्पतालों में अग्निकांड व मरीजों की मौत का सिलसिला कई महीनों से जारी है. पिछले साल 27 नवंबर को गुजरात के राजकोट जिले के कोविड अस्पताल में आग लगी थी, जिसमें 5 कोरोना मरीजों की मौत हो गई थी. हॉस्पिटल में 33 कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा था. मशीनरी में शॉर्ट सर्किट को आग लगने की वजह बताया गया था. 21 नवंबर को ग्वालियर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल के कोविड केयर सेंटर के आईसीयू में आग लगने से वहां भर्ती 9 मरीजों में से 2 मामूली झुलस गए थे, लेकिन आग से मची अफरातफरी में 2 मरीजों की मौत हो गई. एक वेंटिलेटर भी जल गया था.

    पिछले साल ही 9 अगस्त को आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा में एक होटल में आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गई थी. होटल को कोविड-19 फैसिलिटी सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था. घटना के वक्त वहां 40 मरीज थे. मेडिकल स्टाफ के भी 10 लोग थे. इससे 3 दिन पहले, यानी 6 अगस्त 2020 को गुजरात के अहमदाबाद के श्रेय कोविड अस्पताल की चौथी मंजिल पर आग लगी थी. इस हादसे में 8 मरीजों की मौत हुई थी. इनमें 5 पुरुष और 3 महिलाएं थीं. आखिर कैसे रुकेंगे ऐसे हादसे?