मनमोहन के पत्र का मोदी ने उत्तर नहीं दिया, हर्षवर्धन के जवाब से पारा गर्म

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    जब पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने कोरोना के कारण उत्पन्न हालात से निपटने के लिए 5 उपायों का सुझाव देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिखा था तो सहज अपेक्षा की जा सकती थी कि मोदी ही अपने पूर्ववर्ती पीएम को जवाब देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मोदी के बजाय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) ने इस पत्र का जवाब दिया. लगता है, मोदी सिर्फ ‘मन की बात’ करते हैं और खुद किसी पत्र का जवाब देना उन्हें पसंद नहीं है. क्या वे खुद पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को 4 लाइन का पत्र नहीं लिख सकते थे? क्या यह 10 वर्ष तक पीएम रहे मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) का जानबूझकर किया गया निरादर नहीं है?

    मनमोहन सिंह के पत्र का डा. हर्षवर्धन ने जिस तरह जवाब दिया, उससे राजनीति का पारा गर्म हो गया है. स्वास्थ्य मंत्री अपने उत्तर में सरकारी प्रयासों व कदमों की जानकारी दे सकते थे परंतु ऐसा न करते हुए उन्होंने पत्र में कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं की आलोचना की है. यह तो कोई परस्पर संवाद का तरीका नहीं है! आश्चर्य है कि हर्षवर्धन जैसे मृदुभाषी नेता ने कड़वापन दिखाते हुए अपने पत्र में कांग्रेस को कृतघ्न, अक्षम और खतरनाक बताया.  कोरोना की भयावहता को देखते हुए यह समय राजनीति करने का नहीं है. संकट के समय परस्पर समन्वय रखते हुए कोरोना से मुकाबला करना ही उचित है.

    मनमोहन के 5 सुझाव

    पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पत्र प्रमुख रूप से टीकाकरण पर केंद्रित था जिसमें वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने, जरूरत पड़ने पर उसका आयात करने, टीकाकरण मुहिम में तेजी लाने, कोरोना योद्धा की व्याख्या विस्तारित कर सभी को अग्रक्रम में लाने, वैक्सीन निर्माता कंपनियों को प्रोत्साहन देने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का समावेश था. उन्होंने लिखा था कि सबसे पहले सरकार को अगले 6 महीने के लिए टीके के दिए गए आर्डर, किस तरह से टीके राज्यों के बीच वितरित होंगे, इस बारे में बताना चाहिए. सरकार यह भी स्पष्ट करे कि अलग-अलग वैक्सीन उत्पादकों को कितने आर्डर दिए गए हैं जिन्होंने अगले 6 महीने में डिलीवरी का वादा किया है.

    अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी आलोचना की

    कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी सरकार का डिजास्टर मैनेजमेंट सही नहीं होने को लेकर आलोचना की है. सोनिया गांधी ने 25 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को टीका लगाने का सुझाव दिया. प्रियंका गांधी ने महाराष्ट्र में निजी तौर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने के लिए देवेंद्र फडणवीस की आलोचना की. कपिल सिब्बल ने देश में हेल्थ इमरजेंसी लागू करने की मांग की. प्रधानमंत्री मोदी व गृहमंत्री अमित शाह इस आलोचना पर कैसा रुख अपनाते हैं, यह देखना होगा. लगता है उनकी बजाय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने ही उत्तर दे दिया है. उन्होंने मनमोहन सिंह को जवाब देते हुए कहा कि वैश्विक महामारी की दूसरी लहर के लिए कांग्रेस शासित राज्य जिम्मेदार हैं जो लोगों के टीकाकरण की बजाय टीकों पर कथित संदेह जताने में व्यस्त थे. कांग्रेस नेता ही वैक्सीन का महत्व नहीं समझते. ऐसे में आप पहले उन्हें वैक्सीन का महत्व समझाइए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कठिन परिस्थितियों में वैक्सीन बनाने वाले भारतीय वैज्ञानिकों और विनिर्माताओं के सम्मान में एक शब्द भी नहीं कहा.

    हर्षवर्धन ने जिस तरह मनमोहन सिंह पर निशाना साधा, उसे लेकर कांग्रेस ने नाराजगी जताई. कांग्रेस ने कहा कि एक ‘विफल मंत्री’ ने ओछेपन और उदासीनता का परिचय दिया है. हर्षवर्धन को राजनीतिक अपरिपक्वता के लिए माफी मांगनी चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि जब पत्र प्रधानमंत्री को लिखा गया था तो उसका जवाब हर्षवर्धन द्वारा दिए जाने का कोई मतलब नहीं है.