बीजेपी व सत्तारूढ़ पक्ष हैरान मेट्रोमैन श्रीधरन की गुगली

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    अत्यंत कर्मठ स्वभाव के और इच्छाशक्ति के धनी मेट्रोमैन ई. श्रीधरन (E Sreedharan) ने उम्र को स्वयं पर हावी नहीं होने दिया. दिल्ली मेट्रो से लेकर हर शहर में मेट्रो की स्थापना में अहम भूमिका निभानेवाले श्रीधरन ने कोंकण रेलवे का असंभव सा लगनेवाला प्रोजेक्ट भी पूरा कर दिखाया था. 88 वर्ष के इंजीनियर श्रीधरन ने सबको चौंकाते हुए अब राजनीति में कदम रखा है. वे बीजेपी (BJP) में शामिल हो गए हैं और अपने गृह राज्य केरल में मुख्यमंत्री पद के दावेदार बन गए हैं. यह पहला अवसर है कि कोई ऐसा व्यक्ति जिसका राजनीति का बैकग्राउंड नहीं रहा अचानक इस उम्र में स्वयंस्फूर्ति से राजनीति में आया. श्रीधरन ने कहा कि अगर बीजेपी कहेगी तो वे विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और मुख्यमंत्री पद भी संभाल सकते हैं.

    राज्यपाल बनना मंजूर नहीं

    श्रीधरन ने कहा कि राज्यपाल पद संभालने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि यह पद पूरी संवैधानिक है जिसमें कोई शक्ति नहीं है. वह ऐसे पद पर रहकर राज्य के लिए कोई सकारात्मक योगदान नहीं दे पाएंगे. उनका मुख्य उद्देश्य बीजेपी को केरल की सत्ता में लाना है. श्रीधरन ने कहा कि उनका ध्यान केरल में बड़े स्तर पर आधारभूत ढांचे का विकास करना, वहां उद्योगों को लाना और राज्य को कर्ज के जाल से बाहर निकालना होगा. केरल की वित्तीय दशा सुधारने के लिए वित्त आयोग का गठन भी किया जाएगा.

    अचानक राजनीति में कैसे आए

    यह पता नहीं कि श्रीधरन अचानक राजनीति में कैसे आए? क्या बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें इसके लिए राजी किया? उनका मन तो जरूर टटोला होगा वरना कोई चर्चित हस्ती खुद ऐसी पहल क्यों करती? बीजेपी को विभिन्न राज्यों में अपने लिए सीएम पद का चेहरा चाहिए. श्रीधरन के रूप में पार्टी को केरल के लिए ऐसा चर्चित व प्रतिष्ठित चेहरा मिल गया. श्रीधरन ने राजनीति में अपनी एंट्री के साथ ही राजनीतक बयान देना शुरू कर दिया. उन्होंने केरल की पिनराई विजयन सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उसे 10 में से 3 नंबर भी नहीं दिए जा सकते. केरल के किसी भी मंत्री को कुछ काम करने या बोलने की आजादी नहीं है. उन्होंने बीजेपी को सांप्रदायिक पार्टी मानने से इनकार किया और उसे राष्ट्रवादी पार्टी करार दिया. बीजेपी की पार्टी लाइन के अनुरुप श्रीधरन ने कहा कि केरल में लव जिहाद हो रहा है. हिंदू लड़कियों को शादी के लिए बहकाया जा रहा है. हिंदू ही नहीं ईसाई व मुस्लिम लड़कियां भी ऐसे ही फंसाई जा रही हैं. मैं इस तरह की चीजों का निश्चित रूप से विरोध करूंगा. श्रीधरन की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब लव जिहाद को लेकर यूपी, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में इसके खिलाफ कानून बनाया गया है. श्रीधरन के बयान को चुनावी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है.

    बुजुर्गों को टिकट न देने के सिद्धांत का क्या हुआ?

    बीजेपी ने विगत चुनावों में 75 वर्ष से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव में टिकट नहीं देने का फैसला किया था. देश में केवल कर्नाटक के मुख्यमंत्री 77 वर्षीय येदियुरप्पा ही इसके अपवाद हैं क्योंकि बीजेपी के पास उनका असरदार विकल्प नहीं है. बीजेपी ने आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को उनकी अधिक उम्र की वजह से सक्रिय राजनीति से दूर कर दिया लेकिन अब यही पार्टी केरल में कदम जमाने के लिए 88 वर्ष के श्रीधरन पर दांव आजमा रही है.