अब विपक्षी राजदलों के साथ समझौते के मूड में कांग्रेस हाईकमांड

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    कांग्रेस को विलंब से ही सही, वास्तविकता का एहसास हो गया है कि वह अकेले अपने दम पर बीजेपी का मुकाबला नहीं कर सकती. अपने को अन्य विपक्षी पार्टियों से ऊपर समझने की गलतफहमी पालकर उसे कोई लाभ नहीं होने वाला. लोकसभा में अपनी कम सदस्य संख्या की वजह से कांग्रेस अधिकृत विपक्ष का दर्जा पाने में भी विफल रही है, इसलिए वह ज्यादा मिजाज दिखाने की स्थिति में नहीं है. दूसरी बात यह भी है कि राज्यों में ताकतवर होती क्षेत्रीय पार्टियों ने अपनी अहमियत दिखा दी है कि बीजेपी को सीधी टक्कर देने में वे काफी हद तक समर्थ हैं. बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी ने बीजेपी को जिस बुरी तरह हराया उससे पता चल गया कि मोदी-शाह के नेतृत्व व सधी हुई रणनीतियों के बावजूद बीजेपी अजेय नहीं है. कोई क्षेत्रीय पार्टी भी उस पर भारी पड़ सकती है. कांग्रेस भले ही राष्ट्रीय पार्टी है जिसकी 4 राज्यों में सरकारें हैं, फिर भी कुछ राज्यों में वह क्षेत्रीय दलों के मुकाबले फिसड्डी रह जाती है. बंगाल विधानसभा चुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिल पाई. राहुल गांधी के भरसक प्रयासों के बावजूद केरल में लेफ्ट का गठबंधन कांग्रेस पर भारी पड़ा.

    UP चुनाव में गठबंधन का ऑफर

    कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियका गांधी ने व्यावहारिक सोच रखते हुए गैर एनडीए दलों के साथ गठबंधन का ऑफर रखा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का लक्ष्य उत्तर प्रदेश के 2022 में होनेवाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराना है. इसके लिए हम किसी भी किस्म के राजनीतिक गठजोड़ के लिए तैयार हैं. प्रियंका ने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस संगठन को मजबूत करना है. उन्होंने इस कटु सत्य को स्वीकार किया कि पार्टी के पास अभी तक बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं का अभाव था. उनकी यह बात सच है. जिस पार्टी में नेता ही नेता होंगे, वहां कार्यकर्ता कहां से आएंगे! बीजेपी के पास संघ के अनुशासित कार्यकर्ताओं की बड़ी ताकत है जो न केवल बूथ मैनेज करते हैं, बल्कि घर-घर जाते हैं. कांग्रेस ने अपने सेवादल को इस तरह विकसित होने का मौका ही नहीं दिया. पार्टी के युवा व छात्र विंग भी अब उतने सक्रिय नहीं रह गए. वस्तुस्थिति से वाकिफ प्रियंका गांधी ने कहा कि वे अगस्त से यूपी में कैम्प करेंगी. पार्टी दुखी कार्यकर्ताओं को मनाने की कोशिश कर रही है. हम हर बड़े नेता का सम्मान भी करने से नहीं चूकेंगे. हमारी पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पूर्व सांसदों और विधायकों का स्वागत है.

    जी-23 नेताओं को जिम्मेदारी दी

    कांग्रेस की शिथिलता दूर करने की दिशा में कदम उठाते हुए पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2 समूहों का गठन किया है तथा जी-23 नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी है. संसद के मानसून सत्र को देखते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. पहले चर्चा थी कि अधीर रंजन चौधरी से लोकसभा में सदन के कांग्रेस नेता का जिम्मा वापस लेकर यह जवाबदारी राहुल गांधी को सौंपी जा सकती है परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ. अधीर ही लोकसभा में विपक्ष के नेता बने रहेंगे. लोकसभा के लिए गठित ग्रुप में गौरव गोगोई, मनीष तिवारी, शशि थरूर, के. सुरेश, रवनीत बिट्टू व मणिकम टैगोर को लिया गया है जबकि राज्यसभा का ग्रुप विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में गठित किया गया है. इसके सदस्यों में आनंद शर्मा, जयराम रमेश, अम्बिका सोनी, पी चिदंबरम, केसी वेणुगोपाल व दिग्विजय सिंह शामिल हैं. सोनिया गांधी ने इस तरह जी-23 के असंतुष्टों की नाराजगी दूर करने की काशिश की है.

    विपक्षी पार्टियों से समन्वय

    सोनिया गांधी ने संसद में बाकी विपक्षी सहयोगी दलों के साथ कमजोर समन्वय पर चिंता जताई. उन्होंने आशा व्यक्त की कि 2 समूहों के गठन से संसद के मानसून सत्र में पार्टी बेहतर तरीके से हर मुद्दे पर मोदी सरकार को बाकी विपक्षी दलों के साथ मिलकर घेरेगी. इसी दौरान खड़गे ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से चर्चा कर विपक्ष की संयुक्त रणनीति पर जोर दिया.