राहुल को महंगी पड़ी केरल के मतदाताओं की तारीफ

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    देश के हर राज्य की अलग-अलग विशेषताएं हैं, इतने पर भी विविधता में एकता भारत की पहचान है. इनकी तुलना करने की क्या आवश्यकता है? कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi)ने अपने केरल दौरे में उत्तर और दक्षिण भारत की तुलना कर डाली, जिसे लेकर बीजेपी (BJP) ने उनकी तीखी आलोचना की. तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि 15 वर्षों तक मैं उत्तर भारत से संसद सदस्य रहा. तब मुझे एक अलग तरह की राजनीति की आदत थी. मेरे लिए केरल (Kerala Voters) आना ताजगी भरा है. मैंने देखा कि लोग यहां मुद्दों में दिलचस्पी लेते हैं. सिर्फ ऊपरी तौर से नहीं, बल्कि गहराई में जाकर. राहुल की बात बेबुनियाद नहीं है क्योंकि केरल देश का सबसे साक्षर राज्य है और कितने ही दशकों से वहां के लोग रोजगार के लिए विदेश जाते रहे हैं. इस जॉब मोबिलिटी की वजह से उनकी समझ भी विकास से वंचित पिछड़े प्रदेशों की तुलना में व्यापक है. राहुल ने केरल के मतदाताओं की तारीफ की तो बीजेपी नेताओं को बुरा लगा.

    BJP ने कड़ी आलोचना की

    बीजेपी के अनेक नेताओं ने राहुल को अवसरवादी बताते हुए कहा कि वे उत्तर भारतीयों को नीचा दिखा रहे हैं. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि कुछ दिनों पहले राहुल पूर्वोत्तर राज्यों में गए थे जहां उन्होंने देश के पश्चिमी हिस्सों के बारे में जहर उगला था. अब दक्षिण में वे उत्तर भारत के खिलाफ यही कर रहे हैं. ऐसी विभाजनकारी राजनीति नहीं चलेगी. लोग इस तरह की राजनीति को ठुकरा चुके हैं. गुजरात इसका बड़ा प्रमाण है जहां नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का सफाया हो गया और वह कुल 576 सीटों में से केवल 55 सीट ही जीत पाई. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने राहुल को कृतघ्न बताया जिन्हें उत्तर भारत के लोग खोखले लगते हैं. किरण  रिजुजू ने कहा कि राहुल अमेठी और उत्तर भारतीयों का अपमान न करें. अमेठी ने उनके परिवार को काफी अवसर दिए हैं. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि जो व्यक्ति अपनी लोकसभा सीट बचाने के लिए केरल भाग गया, वह उन उत्तर भारतीयों की बुद्धिमत्ता पर सवाल उठा रहा है जिन्होंने उसके परिवार को पीढ़ियों तक वोट दिए. काम और विकास नहीं करने की वजह से राहुल को वहां से भागना पड़ा. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत एक है, इसे बांटने की कोशिश न करें.

    उत्तर विरुद्ध दक्षिण भारत की राजनीति करने का आरोप

    क्या राहुल ने सहजता से केरलवासियों की तारीफ की अथवा वे उत्तर विरुद्ध दक्षिण भारत की राजनीति को हवा देने का काम कर रहे हैं? चूंकि राहुल वायनाड से लोकसभा सदस्य हैं तथा यह क्षेत्र केरल व तमिलनाडु की सीमा से लगा है इसलिए वहां की जनता से निकटता स्थापित करने का उनका प्रयास स्वाभाविक है. राहुल ने केरल के मछुआरों को ‘समुद्र का किसान’ बताया और मांग की कि दिल्ली में इनके हितों को ध्यान में रखते हुए अलग मंत्रालय बनाया जाए. इसके जवाब में तुरंत ही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि मछुआरों के लिए मत्स्य विभाग बना हुआ है जिसके अंतर्गत 20 हजार 50 करोड़ रुपए के निवेश का बजट है. जो काम 70 वर्षों से पिछली सरकारों ने नहीं किया, वह मोदी सरकार कर रही है.

    इंदिरा को भी तो दक्षिण से संजीवनी मिली थी

    राहुल ने दक्षिण भारत पर ध्यान दिया है तो इसमें कोई नई बात नहीं है. इंदिरा गांधी भी रायबरेली में राजनारायण से चुनाव हारने के बाद कर्नाटक के चिकमगलूर से लोकसभा चुनाव जीती थीं. जब उत्तर भारत में कांग्रेस कमजोर हुई थी तब उसे दक्षिण भारत से सहारा मिला था. दक्षिण भारत को लेकर राहुल की फिक्र स्वाभाविक है. पहले कर्नाटक और फिर पुडुचेरी कांग्रेस के हाथ से निकल गया. केरल में यूडीएफ और एलडीएफ के अलावा बीजेपी भी कदम जमाने की फिराक में है. आरएसएस कई दशकों से केरल में सक्रिय है. इसे देखते हुए राहुल केरल में कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं. इतने पर भी यह छोटा सा राज्य कांग्रेस को कितना सहारा दे पाएगा? कांग्रेस की सारी सफलता तो यूपी की बदौलत ही थी जहां पहले 85 लोकसभा सीटें थीं (अब 80 हैं). नेहरू-इंदिरा युग में यूपी में कांग्रेस की तूती बोलती थी जहां अब वह आधार खो चुकी है.