कश्मीर को लेकर, केंद्र व राज्य के दलों के दांवपेंच

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर की 8 पार्टियों के 14 नेताओं के साथ बैठक में रचनात्मक संकेत देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर से दिल्ली और दिल की दूरी कम होगी. ऐसी ही भावनात्मक अपील 23 जनवरी 2004 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने श्रीनगर में अपने संबोधन में इन शब्दों से की थी- ‘हमें कश्मीर में इंसानियत, जम्हूरियत (लोकतंत्र) और कश्मीरियत चाहिए.’ 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने तथा राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद यह प्रधानमंत्री की कश्मीरी नेताओं से पहली राजनीतिक बातचीत थी. इस दौरान जम्मू-कश्मीर के 3 पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती 221 से 436 दिनों तक जेल में रहे. उन्हें भी समझ में आ गया कि केंद्र के साथ चर्चा से ही राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का कोई रास्ता निकल सकता है.

    मुख्य बात यह है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में यथाशीघ्र निर्वाचित सरकार की स्थापना के पक्ष में है. प्रधानमंत्री मोदी ने परिसीमन के बाद जल्द ही विधानसभा चुनाव कराने की बात कही और नेताओं से इस प्रक्रिया में शामिल होने को कहा. उन्होंने कहा कि हमारे बीच राजनीतिक मतभेद होंगे लेकिन हम सभी को राष्ट्रहित में काम करना चाहिए ताकि जम्मू-कश्मीर के लोगों को फायदा हो. वहां सभी के लिए सुरक्षा का माहौल सुनिश्चित करने की जरूरत है.

    घाटी के नेताओं की विभिन्न मांगें

    उमर अब्दुल्ला ने परिसीमन पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह केवल जम्मू-कश्मीर में ही क्यों किया जा रहा है, पूरे देश में क्यों नहीं? उनकी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के 3 सहयोगी सदस्य गत 18 फरवरी को हुई परिसीमन बैठक में शामिल नहीं हुए थे. इस बारे में फारूक अब्दुल्ला ही अंतिम फैसला करेंगे. आशा है कि आयोग शीघ्र ही सभी पार्टियों से चर्चा कर परिसीमन के संबंध में उनके विचार जानेगा. गुपकार नेताओं ने इस बैठक में अनुच्छेद 370 और धारा 35ए पुन: बहाल करने का मुद्दा नहीं उठाया क्योंकि यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में लंबित है.

    महबूबा का पाकिस्तान राग

    पीडीपी नेता व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत में पाकिस्तान को शामिल करने की विचित्र मांग की. उन्होंने दलील दी कि जब सरकार तालिबान से बात करने दोहा जा सकती है तो कश्मीर मसले पर पाकिस्तान से चर्चा क्यों नहीं कर सकती? उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर से लगा हुआ पड़ोसी देश है. कश्मीर में अमन-चैन के लिए पाक से बात करनी होगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार विरोध की हर आवाज को कुचल देना चाहती है. उसके खिलाफ बोलने वालों को लंबे समय तक जेल में रखा जाता है. घाटी के हजारों लोग अभी भी जेलों में बंद हैं. 370 की बहाली के मुद्दे पर किसी भी अन्य दल ने महबूबा का साथ नहीं दिया. महबूबा की पाकिस्तान से बातचीत की मांग को नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने पूरी तरह ठुकरा दिया. पैंथर्स पार्टी के भीमसिंह ने कहा कि महबूबा अपनी राजनीति बचाने के लिए पाकिस्तान का नाम लेती हैं.

    अमित शाह का आश्वासन

    केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने और उसे पूर्ण राज्य का दर्जा देने के अपने आश्वासन पर कायम है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में एक समिति हिरासत में लिए गए लोगों के मामलों की समीक्षा करेगी. यद्यपि इस शुरुआती बैठक में गतिरोध टूटता नजर आया लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. बैठक से पहले चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर के 20 उपायुक्तों से विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्गठन करने और 7 नई सीटें बनाने पर विचार-विमर्श किया. फारूक अब्दुल्ला ने इस बैठक को सही दिशा में पहला कदम बताया. पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन ने कहा कि इस बैठक से आगे के लिए उम्मीद बंधी है.