राजनीति के प्रेशर में सौरव गांगुली को हार्ट अटैक

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राजनीति सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) का क्षेत्र नहीं है. उनकी सारी लोकप्रियता क्रिकेट की बदौलत है. राजनीति सभी को हजम नहीं होती. उसमें उतार-चढ़ाव, सफलता-विफलता, आरोप-प्रत्यारोप, यश-अपयश का दौर चलता रहता है. बीजेपी (BJP) ने सौरव गांगुली की लोकप्रियता देखते हुए उन्हें बंगाल की राजनीति में उतारने का फैसला किया बीजेपी ने यह भी संकेत दिया कि अप्रैल-मई में संभावित बंगाल विधानसभा चुनाव में पार्टी गांगुली को ममता के खिलाफ मुख्यमंत्री पद का चेहरा बना सकती है. यद्यपि गांगुली ने इस बारे में अपनी ओर से कोई घोषणा नहीं की लेकिन मन में लड्डू तो फूट ही रहे होंगे. दूसरी ओर क्रिकेट (Cricket) में भी उनकी जिम्मेदारी कम नहीं है. अक्टूबर 2019 से वे बीसीसीआई का अध्यक्ष (BCCI President) पद संभाल रहे हैं. भारतीय टीम के विदेश दौरे, विविध सीरीज तथा कोरोना संकट के दौर में क्रिकेट के भविष्य को लेकर उन्हें चिंता बनी रहती होगी. माना जाता है कि ऐसी हालत में उनपर राजनीतिक प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक (Sourav Ganguly Heart Attack) आ गया. कोलकाता के वुडलैंडस अस्पताल में उनकी एंजियोप्लास्टी की गई और दिल की नसों में स्टेंट डाला गया.

अन्य क्रिकेटर भी राजनीति में आए

इससे पहले भी अजहरूद्दीन, कीर्ति आजाद, गौतम गंभीर जैसे कितने ही क्रिकेटर राजनीति में आए लेकिन ज्यादा से ज्यादा सांसद बनकर रह गए. चेतन चौहान यूपी में मंत्री बने लेकिन कुछ माह पहले कोरोना से उनका निधन हो गया. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को राज्यसभा का मनोनीत सदस्य बनाया गया था लेकिन उनकी राजनीति में दिलचस्पी नजर नहीं आई. वे बहुत कम अवसरों पर संसद गए. नवज्योतसिंह सिद्धू भी राजनीति में हैं और कांग्रेस व बीजेपी के बीच पाला बदलते रहे हैं. वाकपटु होने पर भी अतिमहत्वाकांक्षी सिद्धू में राजनीतिक स्थिरता नहीं है. पाकिस्तान के इमरान खान क्रिकेट कप्तान से शुरु कर देश के प्रधानमंत्री बन गए. क्रिकेट जैसे खेल से मिली लोकप्रियता खिलाड़ियों को जाना-पहचाना और चर्चित चेहरा बना देती है लेकिन राजनीति हर किसी के वश की बात नहीं है.

नेताओं का क्रिकेट संबंध

आमतौर पर क्रिकेट बोर्ड पर अपना कब्जा करने की कुछ नेताओं के मन में अभिलाषा होती है. इस बात से मतलब नहीं है कि ये नेता क्रिकेट खेलते हैं भी या नहीं! महाराष्ट्र के दिग्गज नेता और एनसीपी प्रमुख शरद पवार पहले बीसीसीआई और फिर आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) के अध्यक्ष रहे. इसी तरह अरूण जेटली भी केंद्रीय मंत्री रहते हुए दिल्ली क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष पद पर रहे. फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में जेटली का पुतला भी लगाया जा रहा है जिसका पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान बिशनसिंह बेदी ने कड़ा विरोध किया है. बीसीसीआई विश्व का सबसे धनवान क्रिकेट बोर्ड है जिसपर कब्जे की राजनेताओं में होड़ लगी रहती है. नेता तो क्रिकेट संगठन का पद सहजता से संभाल लेते है और वहां भी राजनीति करने से बाज नहीं आते जबकि कोई खिलाड़ी क्रिकेट बोर्ड की जिम्मेदारी संभालने के अलावा सक्रिय राजनीति में भी आना चाहे तो उस पर काफी तनाव पड़ता है. राजनीति में घुटा हुआ नेता ही चल पाता है.