जयस्वाल बने CBI चीफ, केंद्र सरकार की नहीं चल पाई

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    अंतत: सुबोध जयस्वाल सीबीआई चीफ बन गए. वे 2 वर्षों तक इस पद पर रहेंगे. केंद्र सरकार चाहकर भी अपनी पसंद का सीबीआई प्रमुख नहीं चुन पाई और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना की आपत्तियों की वजह से उन 3 लोगों के नाम कट गए जिनमें से किसी एक को केंद्र इस पद पर देखना चाहता था. केंद्र सरकार के 3 पसंदीदा थे- राकेश अस्थाना (डीजी बीएसएफ एंड नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो), एचसी अवस्थी (डीजी यूपी पुलिस) और डा. वाईसी मोदी (डीजी एनआईए). शुरुआत में सरकार ने सीबीआई चीफ के प्रतिष्ठित पद के लिए 109 आईपीएस अधिकारियों की सूची भेजी थी.

    बाद में बैठक से 5 घंटे पहले 10 नामों की छोटी सूची भेजी गई. इसके बाद बैठक से 2 घंटे पूर्व प्रधानमंत्री मोदी के अधीन आने वाले कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय ने केवल 6 अधिकारियों की एक और छोटी सूची भेजी. इस सूची में भी सरकार के पसंदीदा 3 अधिकारियों के नाम शामिल थे. बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय में पीएम मोदी, सीजेआई एनवी रमना और लोकसभा में प्रतिपक्ष कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की बैठक हुई जिसमें चौधरी की आपत्तियों से भी आगे बढ़कर चीफ जस्टिस रमना ने 6 महीने के नियम का हवाला दिया. इसके मुताबिक सीबीआई चीफ पद के लिए ऐसे किसी भी अधिकारी के नाम पर विचार नहीं किया जाना चाहिए जिसका कार्यकाल 6 महीने से कम है. सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति का कार्यकाल 2 वर्ष होता है. सीजेआई रमना ने इस बात पर जोर दिया कि कानून का पालन होना चाहिए. चौधरी ने भी उनकी बात का समर्थन किया. इस वजह से अस्थाना और वाईसी मोदी के नाम हट गए जिनको 3 माह के भीतर सेवानिवृत्त होना है.

    जयस्वाल की नियुक्ति से राज्य सरकार की दिक्कतें बढ़ेंगी

    महाराष्ट्र में पुलिस अधिकारियों के तबादलों को लेकर सुबोध जयस्वाल और राज्य सरकार के बीच तनातनी हुई थी. राज्य सरकार से नहीं पटने की वजह से प्रतिनियुक्ति पर केंद्र वापस भेजे गए जयस्वाल के सीबीआई चीफ बनने से राज्य सरकार की दिक्कतें बढ़ने की आशंका है. बीजेपी सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उन्हें राज्य पुलिस में वापस लाए थे. जुलाई 2018 में जयस्वाल को मुंबई पुलिस आयुक्त बनाया गया था. पडसलगीकर की निवृत्ति के बाद सीनियारिटी के मुताबिक जयस्वाल को पुलिस महासंचालक बनाया गया.

    महाविकास आघाड़ी सरकार आने पर सरकार व जयस्वाल के बीच विवाद हुआ तो राज्य के गृह मंत्रालय ने जयस्वाल को केंद्र में वापस जाने की अनुमति दी. इसके बाद जयस्वाल सीआईएसएफ के महासंचालक बने. जयस्वाल गुप्तचर एजेंसी रॉ में भी वरिष्ठ पद पर थे. तेलगी स्टाम्प घोटाले के वे जांच अधिकारी थे. महाराष्ट्र के नक्सली क्षेत्र में भी उनका उनका रिकार्ड अच्छा था. पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के 100 करोड़ रुपए वसूली प्रकरण में एड. जयश्री पाटिल ने याचिका दाखिल की है. इसके आधार पर हाई कोर्ट ने इसकी सीबीआई जांच का आदेश दिया है. अब जयस्वाल सीबीआई प्रमुख बन जाने से उनके नेतृत्व में जांच होगी. इसलिए देशमुख सहित राज्य सरकार की दिक्कतें बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.