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इससे प्रभावित होकर लोग झांसे में आ जाते हैं और तुरंत ऐसे जादुई यंत्र का आर्डर दे देते हैं.

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टीवी चैनलों तथा अन्य प्रसार माध्यमों के जरिए लोगों को विभिन्न चमत्कारी यंत्र बेचने का धंधा जोरों पर है. लोगों को बीमारी से राहत, मामले-मुकदमे में जीत, परीक्षा व प्रेम में सफलता, मानसिक शांति आदि का भरोसा दिलाते हुए ऐसे यंत्र बेचे जाते हैं. इसके विज्ञापन के लिए टीवी व फिल्म अभिनेताओं तथा भजन गायक-गायिका का इस्तेमाल किया जाता है. इससे प्रभावित होकर लोग झांसे में आ जाते हैं और तुरंत ऐसे जादुई यंत्र का आर्डर दे देते हैं.

बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ के सम्मुख ऐसा ही एक मामला सुनवाई के लिए आया जिसमें अहमदनगर जिले के मोहरादेवी देवस्थान में 2 किलो सोने का स्वर्ण यंत्र मंदिर में लगाए जाने को लेकर शिकायत की गई थी. इस मामले में न्यायमूर्ति टीवी नलावडे व न्यायमूर्ति एमजी शेवलीकर ने ऐतिहासिक निर्णय दिया. इस फैसले में देवी-देवता के नाम पर यंत्र-तंत्र बिक्री का विज्ञापन दिखाने पर रोक लगाने का आदेश सरकार को दिया गया है.

राज्य व केंद्र सरकार दोनों से ही ऐसे मामलों पर कार्रवाई करने को कहा गया. ऐसे विज्ञापन करने पर ‘जादू टोना प्रतिबंधक व उच्चाटन अध्यादेश’ के मुताबिक अपराध दर्ज करने तथा इस बारे में अदालत को सूचित करने का आदेश दिया गया. मीडिया को लोकशिक्षक व प्रबोधनकार की भूमिका निभानी चाहिए लेकिन ऐसे यंत्र-तंत्र के विज्ञापन से वह लोगों को गुमराह कर उन्हें अंधविश्वासी बना रहा है.

महाराष्ट्र व कर्नाटक छोड़कर अन्य राज्यों में अंधश्रद्धा के खिलाफ कोई ठोस कानून नहीं है. यह फैसला जनता को तर्कसंगत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के लिए प्रेरित करता है. अंधविश्वास की आड़ में इस तरह की ठगी को लेकर लोगों को सतर्क और जागरूक होना चाहिए. आश्चर्य की बात है कि पढ़े-लिखे लोग भी इस तरह के झांसे में आ जाते हैं.