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अकोला. स्थानीय सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय की ओर पिछले वर्षों से लगभग 1.80 करोड़ रू. का जल कर शेष है. मनपा के जलप्रदाय विभाग द्वारा बार बार सूचनाएं दिए जाने के बावजूद मात्र 17 लाख 35 हजार रू. की रकम चुकाए जाने की जानकारी मिली है. जिससे जल्द ही जलप्रदाय विभाग द्वारा जल कर न चुकानेवाले कार्यालयों की जलापूर्ति खंडित की जाएगी ऐसी जानकारी मिली है. कोरोना महामारी के कारण सरकार के कामकाज को भी प्रभावित किया है. कोरोना के बढ़ते प्रचलन के कारण, पिछले नौ महीनों से पानी के बिलों का वितरण कार्य बंद था.

परिणामस्वरूप, कई ने अपना बकाया भुगतान करने से परहेज किया. अब जबकि पानी के बिल का भुगतान शुरू हो गया है, यह पता चला है कि सरकारी कार्यालय करोड़ों रुपये के बकाया में हैं. जलदाय विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी बकाया राशि को लेकर भ्रमित हैं. कोरोना के कारण नागरिक महत्वपूर्ण कार्य के बिना घर से बाहर नहीं निकले.

लाकडाउन के दौरान, जल आपूर्ति विभाग ने शहर को नियमित पानी की आपूर्ति प्रदान करने और नागरिकों को असुविधा से बचने पर ध्यान केंद्रित किया था. सरकारी कार्यालय की उपस्थिति भी कम थी. लेकिन जैसा कि करोड़ो में बकाया हो गया है, अधिकारी और कर्मचारी अब काम वसूली में जुटे हैं.

कोरोना के कारण बिलों का वितरण नहीं

पिछले नौ माह में जलापूर्ति विभाग द्वारा बिलों का वितरण न किए जाने से रेल विभाग की ओर 91,33,500 रू., रेलवे के निवासस्थानों की ओर 3.99 लाख रू., आरपीटीएस – 20 लाख रू., आकाशवाणी कार्यालय 1.20 लाख रू., आकाशवाणी कालोनी – 2.73 लाख रू., पुलिस निवासस्थान 1.08 लाख रू., सिंचाई विभाग 9 लाख रू. आदि विविध सरकारी कार्यालयों की ओर करोड़ रू. का जल कर बकाया है. 

जल कर न भरने पर होगी कार्रवाई

मनपा जलप्रदाय विभाग के कार्यकारी अभियंता सुरेश हुंगे ने कहा कि, पिछले दो वर्षों से बार बार सूचना देने के बावजूद चिकित्सा महाविद्यालय प्रशासन द्वारा जल कर की रकम नहीं भरी है. आठ दिनों में अगर जल कर की रकम नहीं भरी जाती है तो जीएमसी की जलापूर्ति खंडित की जाएगी. अन्य सरकारी कार्यालयों को तुरंत भुगतान करना चाहिए ताकि अप्रिय कार्रवाई करने का समय न आए.