अकोला. फसल का न होना, बकाया कर्ज आदि के कारण किसान आत्महत्या के 15 मामलों को सरकारी सहायता के लिए पात्र घोषित किया गया है. इस बीच, जिले में किसान आत्महत्या के एक मामले को सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने के लिए जिला स्तरीय समिति द्वारा अयोग्य घोषित किया गया है और दो मामलों में फिर से जांच का निर्देश दिया गया है.
अनियमित प्रकृति, अधिक वर्षा, बेमौसम बारिश जैसे विभिन्न कारणों के कारण, कृषि माल का उत्पादन कम हो जाता है और खेती और बुवाई की लागत को कवर नहीं किया जाता है, इसलिए किसान आत्महत्या जैसे चरम उपाय करते हैं. आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार को सरकारी सहायता के लिए पात्र होना चाहिए, इसलिए जिला स्तरीय समिति की बैठक् आयोजित की गयी.
समिति की बैठक में किसान आत्महत्या के 15 मामलों को सरकारी सहायता के लिए पात्र घोषित किया गया. जिसमें अकोट तहसील के श्रेयश धांडे-आसेगांव बाजार, गजानन रोहणकार-बोर्डी, रमेश ठोकल-बलेगांव, पातुर तहसील के संदीप शेलके -सस्ती, अकोला तहसील के जगन्नाथ राऊत-निपाणा, रामराव गाडे-दहिहांडा, दीपक वानखडे-शिवापुर, गुणवंत भटकर-लोणाग्रा, दीपक घाटोले, गजानन वानखडे-म्हातोडी, विकास ढोके-पलसो खु., तेल्हारा तहसील के मनोहर बोदडे-निंभोरा, अरूण खुमकर-बेलखेड़, राहुल खारोडे-वाडी अदमपुर व मुर्तिजापुर तहसील के मुकिंदा इंगले-जामठी का समावेश है.
यदि मानदंड का अनुपालन नहीं करने के कारण एक मामला अयोग्य है, तो संबंधित उप-मंडल अधिकारी दो मामलों की फिर से जांच करेगा और समिति को एक रिपोर्ट सौंपेगा.