अकोला. खरीफ सीजन के दौरान किसानों की नकदी फसल पर शुरू से ही संकटों का सिलसिला शुरू था जो सीजन खत्म होने के बाद भी खत्म नहीं हुआ है. अत्यधिक बारिश के साथ साथ, वापसी की बारिश के कारण कपास की फसल पर गुलाबी बोंड इल्ली का प्रकोप के कारण फसलों का नुकसान हुआ. इस वर्ष खरीफ मौसम के दौरान क्षेत्र में इल्लियों का प्रकोप बढ़ने से उत्पादन में काफी कमी आयी है. जिसके कारण किसान पूरी तरह संकट में फंस गया है.
खरीफ मौसम में इस वर्ष अत्यधिक बारिश के कारण मूंग, उड़द का उत्पादन नहीं के समान हुआ है. वापसी के बारिश के कारण सोयाबीन की फसल का भी बहुत नुकसान होकर उत्पादन में कमी आयी है तथा उत्पादित माल के दर्जे पर भी असर हुआ है. पहले भारी बारिश और फिर वापसी की बारिश से किसानों की नगद फसल के साथ साथ पूरा दारोमदार रहनेवाली कपास की फसल पर भी परिणाम हुआ है.
गुलाबी बोंड इल्ली के प्रकोप के कारण कपास की फसल ने भी किसानों को धोखा दिया. 20 से 25 हजार रू. प्रति एकड़ के उत्पादन खर्च के बावजूद कपास की पैदावार 3 से 4 क्विंटल तक नहीं पहुंची है. जिससे इस वर्ष खरीफ मौसम में किसानों का काफी नुकसान हुआ है.
20 हजार किसानों को बीमा लाभ की प्रतीक्षा
गुलाबी बोंड इल्ली के प्रकोप का असर जिले के 75 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की कपास की फसल पर हुआ है. जिले के 19,119 कपास उत्पादक किसानों कुल 1 लाख 28 हजार हेक्टेयर में से 15,230 हेक्टेयर क्षेत्र का फसल बीमा का प्रीमियम भरा है. कपास की फसल को कभी भी बीमा लाभ न दिए जाने से इतने कम प्रमाण में किसानों ने बीमा निकाला है. परिणामस्वरूप बहुत कम किसानों ने कपास बीमा किया है.
खर्च भी नहीं निकल सका
फसल पर पड़नेवाली इल्लियों को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न कीटनाशकों को पर किसानों को खर्च करना पड़ा है. फसलों पर छिड़काव का प्रमाण भी बढ़ा है. पानी की तरह पैसा बहाने के बावजूद किसानों के हाथ उपज नहीं आयी है. जिससे किसान चिंता में दिखाई दे रहे हैं.
जिले में कपास की बुआई
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तहसील क्षेत्र
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अकोला – 32,366 हेक्टेयर
अकोट – 29,078 हेक्टेयर
तेल्हारा – 24,306 हेक्टेयर
बालापुर – 19,343 हेक्टेयर
पातुर – 6,468 हेक्टेयर
बार्शीटाकली- 6,338 हेक्टेयर
मुर्तिजापुर – 11,226 हेक्टेयर
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कुल – 1,28,854 हेक्टेयर