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अकोला. महानगरपालिका क्षेत्र में 280 जीर्ण-शीर्ण इमारतें हैं, जिनमें से लगभग 40 इमारतें खतरनाक स्थिति में होने की जानकारी सूत्रों से हैं. प्रतिवर्ष प्रशासन की ओर से केवल औपचारिकता निभाते हुए संपत्ति धारकों को नोटिसे दी जाती है. उससे परे कुछ भी नहीं हो रहा है. यदि ऐसी स्थितियां बनी रहती हैं, तो आने वाले मानसून में भयावह दुर्घटना की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. दो-तीन साल पहले लगातार बारिश के कारण, शहर के तेलीपुरा चौक पर एक विशाल इमारत ढह गई थी. सड़क बहुत संकरी होने के कारण राहत वाहन सीधे उस इलाके में नहीं पहुंच सके थे.

इमारत के मलबे में एक बुजुर्ग महिला दब गई थी. दो-तीन घंटे के अथक प्रयासों के बाद महिला बाहर निकल पाई. महानगर के उत्तर जोन में सर्वाधिक जीर्ण इमारतें हैं. इस क्षेत्र के कोठड़ी बाजार, किराणा बाजार सहित मुख्य बाजारपेठ क्षेत्र में यह इमारतें देखी जा सकती है. अनेक स्थानों पर इमारतें दयनीय हालत में होने के बावजूद इन इमारतों में रहनेवाले किराएदार घरों को खाली करने के लिए तैयार नहीं है. जिसके कारण मनपा प्रशासन के सामने प्रश्न निर्माण हो रहा है. 

उत्तर जोन में भी कई खस्ता हाल इमारतें 

महानगर के सभी चारों जोन में 280 जीर्ण-शीर्ण इमारतें हैं, जिनमें से 40 इमारतें बहुत जीर्ण-शीर्ण हैं. कई स्थानों पर, किरायेदारों और घर मालिकों के बीच विवाद की जानकारी मिली है. उत्तर जोन में सबसे अधिक 150 से अधिक इमारतें काफी चिंताजनक अवस्था में है. जिसका मुख्य कारण यह है कि यह बाजारपेठ का हिस्सा हैं. अगर बारिश के मौसम में कोई इमारत गिरती है, तो कई लोगों की जान चली जाती है, क्योंकि बाजार में हमेशा हलचल रहती है.

विधायक गोपीकिसन बाजोरिया ने कहा कि शहर की जर्जर इमारतों की समस्या गंभीर हो गई है. मनपा ने नोटिसें देकर कार्रवाई करनी चाहिए. जिन इमारतों की हालत गंभीर है, उन्हें तुरंत ढहाए जाने की जरूरत है, इस बारे में नाराज होने का कोई कारण नहीं है.