FARMER RICE

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    • कृषि उत्पादनों के दाम कम हुए
    • बीजों की उपलब्धता भी नहीं 

    अकोला. पिछले वर्ष भी खरिफ फसलों की स्थिति वापसी की बारिश से खराब हो गई थी. कुछ कुछ क्षेत्रों में तो किसानों के हाथ कुछ भी फसल नहीं लगी. कई किसान ऐसे थे जिनको खेती से उत्पादन खर्च भी नहीं निकल सका था. बड़ी संख्या में किसान आर्थिक संकट में आ गए थे. इसी तरह रबी की फसलों में भी किसानों को विशेष आमदनी नहीं हो सकी. खेतिहर मजदूरों को मजदूरी भी अधिक देनी पड़ रही है. इस तरह किसान पिछले वर्ष से ही परेशान हैं. 

    कृषि उत्पादनों के दाम कम हुए

    कई किसान ऐसे हैं जिन्होंने तुअर तथा रबी का चना बेचा नहीं था बल्कि इसलिए संभाल कर रखा था कि इसे बेच कर खरिफ फसलों की बुआई करेंगे. लेकिन पिछले कुछ दिनों में तुअर तथा चने के दामों में काफी गिरावट आई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार क्विंटल के पीछे हजार रूपये कम हुए हैं. मजबूरी में किसान चना और तुअर बेचकर, नुकसान बर्दाश्त करके जो पैसा आ रहा है उससे खरिफ की फसलों के लिए बीज तथा खाद खरीद रहे हैं. इसके कुछ समय बाद ही उन्हें खेती के लिए कीटनाशक भी खरीदने पड़ेंगे.

    एक तो पहले ही किसानों की आर्थिक स्थिति खराब थी, उस पर अब कृषि उत्पादनों के दाम भी कम होते जा रहे हैं. शायद इसी कारण से किसानों का खरीफ फसलों की बुआई का उत्साह काफी कम हो गया है. किसानों का कहना है कि बड़ी मुश्किल से कर्ज लेकर खेतों में बुआई की जाती है और कई बार उत्पादन खर्च भी निकल नहीं पाता है, उस पर जब कृषि उत्पादनों के दाम कम हो जाते हैं तो और नुकसान बर्दाश्त करना पड़ता है. 

    धीमी गति से फसल कर्ज वितरण

    किसानों को मिलनेवाले फसल कर्ज की गति अभी भी बहुत धीमी है. कुछ कुछ नैशनलाइज बैंक तो ऐसे हैं जिन्होंने अभी फसल कर्ज वितरण की शुरूआत भी नहीं की है. अभी भी हजारों किसान ऐसे हैं जिन्हें फसल कर्ज नहीं मिला है. वैसे भी बैंक जब फसल कर्ज देती है तो नियम इतने कठोर रहते हैं कि सभी किसानों को कर्ज नहीं मिल पाता है. कई किसान तो बैंकों में चक्कर मार मार कर थक जाते हैं. शायद इस कारण भी बहुत से किसान कर्ज से वंचित रह जाते हैं.

    जब कुछ किसानों को बैंकों से कर्ज नहीं मिल पाता तो अधिक ब्याज देकर साहुकारों के पास से उन्हें कर्ज लेना पड़ता है. कई किसान ऐसे हैं जो साहुकारों के पास से कर्ज लेकर अपने खेतों में बुआई करते हैं. इसके बाद कई अवैध साहुकारी करनेवाले किसानों से मनमाना ब्याज वसूल करते हैं. 

    बीज के लिए भी परेशानी

    इस वर्ष महाबीज के बीज के लिए भी किसानों को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है. महाबीज के सोयाबीन के बीज की काफी कमी है. किसानों को सोयाबीन के बीज दूसरी कंपनियों से खरीदने पड़ रहे हैं जिनके दाम महाबीज के सोयाबीन के बीज से काफी अधिक हैं. इस कारण भी किसानों को काफी तकलीफ हो रही है. सरकार का काम है कि आर्थिक रूप से त्रस्त किसानों को मदद का हाथ दे.