CSTPS contract workers strike for bonus

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    अकोला. बैंकों का निजीकरण करने की नीति के खिलाफ केंद्र सरकार की राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा आयोजित हड़ताल दूसरे दीन भी जारी रही. युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन की ओर से बंद का आयोजन किया गया था. इस बंद को मंगलवार को दूसरे दिन अकोला, बुलढाना और वाशिम जिले में बेहतर प्रतिसाद मिला. बैंक कर्मचारियों ने केंद्र सरकारी की बैंक निजीकरण नीति का जमकर विरोध किया. इस बंद में बैंक के कर्मचारियों के साथ साथ अधिकारी भी शामिल हुए थे. दोनों दिन इस बंद का परिणाम दिखाई दिया.

    हड़ताल के कारण करोड़ों रुपयों का लेनदेन ठप हो गया था. हड़ताल के दौरोन प्रशासन द्वारा कोरोना के संदर्भ में जारी सभी नियमों का पालन किया गया. हड़ताल के दूसरे दिन ग्राहक तथा जनप्रतिनिधियों से संवाद किया गया और बैंक के निजीकरण करने पर संभावित स्थिति की जानकारी दी गयी. संगठनों ने बैंक उद्योग और कामकाज के संदर्भ में अनेक सुझाव दिए हैं. जिन पर अमल करने पर बैंकिंग उद्योग में लाभ होगा और सामान्य नागरिकों के हितों का भी रक्षण होगा.

    इसमें विशेष रूप से ऋण लेने वालों की सूची घोषित करना, जान बूझकर ऋण बकाया रखने पर अपराध ठहराना, बकाया कर्जदाताओं को चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाना इसी के साथ साथ संगठन द्वारा यह मांग की जा रही है कि बैंकों द्वारा ग्राहकों से लिया जानेवाला सेवा शुल्क कम करें तथा जमा पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज की दर बढ़ाई जाए.

    इस बीच हड़ताल को सभी मध्यवर्ती कमगार संगठनों और विविध राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन घोषित किया है. संगठन द्वारा जल्द ही आंदोलन को तीव्र करने के संदर्भ में निर्णय लेगा. इस आंदोलन में श्याम माईंनकर, प्रवीण महाजन, अनिल मावले, दिलीप पिटके, मंगेश डामरे प्रमुखता से शामिल थे. यह जानकारी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के निमंत्रक देविदास तुलजापुरकर ने दी है.