नि:शुल्क दी गयी किताबें स्कूल में जमा करनी होंगी – राज्य सरकार की ‘पथदर्शी परियोजना’

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अकोला. शालेय विद्यार्थियों को शालाओं में नि:शुल्क दी जानेवाली पुस्तकें उन विद्यार्थियों ने संभाल कर रखने की आवश्यकता है. क्योंकि कोरोना का प्रादुर्भाव रुकने के बाद यह किताबें संबंधित शालाओं में जमा करनी होंगी, ऐसा सर्कुलर राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया है. पर्यावरण संरक्षण के साथ ही कागज के लिए वनों की कटाई पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा पथदर्शी प्रकल्प अमल में लाया जा रहा है. सरकार की इस पहल का पर्यावरण प्रेमियों ने स्वागत किया है.

स्कूली बच्चों को दैनिक जीवन में पर्यावरण के महत्व को समझने के उद्देश्य से पर्यावरण के विषय को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. इसके अलावा, सक्रिय शिक्षा के तहत विभिन्न स्कूलों में गांव में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कई पहल की जा रही हैं. पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रासंगिक सामग्री को कम करने और पुन: उपयोग करने की अवधारणा इन स्कूली बच्चों के दिमाग में विकसित होती है. राज्य सरकार ने हाल ही में बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के कारण बिगड़ते पारिस्थितिक संतुलन की पृष्ठभूमि के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा के एक हिस्से के रूप में स्कूली बच्चों को नि:शुल्क दी जाने वाली पाठ्यपुस्तकों का फिर से उपयोग करने का निर्णय लिया है.

स्कूली बच्चों को वितरित की जाने वाली पाठ्यपुस्तकों में से कुछ को छात्रों द्वारा सही ढंग से बनाए रखा जाता है और इस तरह की पाठ्यपुस्तकों को इकट्ठा करने और पुन: उपयोग करने से उन्हें अगले साल अन्य बच्चों को वितरित किया जा सकेगा. पुस्तक का पुन: उपयोग करने से कुछ कागज भी बचेंगे. पुराने (2019-20 या 2020-21 में) बच्चों द्वारा उपयोग की जाने वाली पाठ्यपुस्तकों को उनके स्कूल में जमा किया जाना चाहिए, जिसके लिए माता-पिता को भी प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए, यह आहवान सरकार की ओर से समग्र शिक्षा अंतर्गत जिन शालाओं में सरकार द्वारा नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकों का वितरण किया गया है, ऐसी शालाओं के पालकों और विद्यार्थियों से किया गया है. 

पाठ्यपुस्तकों पर प्रतिवर्ष 200 करोड़ रू. का खर्च

समग्र शिक्षा योजना के तहत, सरकार द्वारा हर साल कक्षा पहली से आठवीं के छात्रों को मुफ्त पाठ्यपुस्तकें वितरित की जाती हैं. इस पर हर साल 200 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आता है. सरकार ने शैक्षिक वर्ष 2021 में प्रायोगिक आधार पर पाठ्यपुस्तकों को रीसायकल करने के लिए एक पथदर्शी प्रकल्प लागू करने का निर्णय लिया है. यह एक वैकल्पिक योजना होगी. इससे छात्रों को किताबों को सुव्यवस्थित रखने की आदत डालने में मदद मिलेगी.

कोविड-19 वायरस के मौजूदा प्रसार के कारण, स्कूलों के शुरू होने पर इन गतिविधियों को लागू किया जाना चाहिए, पाठ्यपुस्तकों को एकत्र करने के बाद, इन पुस्तकों को स्कूल स्तर पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए, यह भी सरकार द्वारा कहा गया है. परियोजना को पहले वर्ष में प्रायोगिक आधार पर लागू किया जाएगा और इस परियोजना से कागज की बचत से वृक्ष संरक्षण में मदद मिलेगी. पाठ्यपुस्तकों को जमा करने के बारे में छात्रों या अभिभावकों की प्रतिक्रिया पर विचार करने के बाद आगे निर्णय लिया जाएगा इसकी घोषणा भी सरकार ने की है.

पर्यावरण प्रेमियों ने किया स्वागत -बागड़े

राष्ट्रीय स्तर के वृक्षमित्र पुरस्कार विजेता रूपसिंह बागडे ने कहा कि, पर्यावरण प्रेमियों ने सरकार की पहल का स्वागत किया है, जो छात्रों और साथ ही उनके माता-पिता के बीच पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता और महत्व पैदा करेगा.