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    • बड़ी संख्या में रोगी उपचारार्थ दाखिल
    • सर्वोपचार में कई डाक्टरों के पद रिक्त 
    • स्वास्थ्य सेवा हो रही है प्रभावित

    अकोला. अकोला शहर तथा जिले में कोरोना वायरस के रोगी दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं. कोरोना वायरस की दूसरी लहर बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है. शहर तथा जिले के बड़ी संख्या में रोगी निजी अस्पतालों में भी कोविड का इलाज करवा रहे हैं. बड़ी संख्या में रोगी होम क्वारंटाइन में भी हैं. इस तरह कोरोना वायरस को लेकर पहले ही लोग काफी घबराए हुए हैं. 

    पद न भरे जाने से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का उपयोग नहीं 

    सरकार द्वारा अकोला शहर में सर्वोपचार से लगकर ही सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का निर्माण किया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को मान्यता भी मिल गयी है लेकिन इसके बावजूद अभी तक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल शुरू नहीं किया गया है. इस अस्पताल में सिटी स्कैन, एमआरआई, हार्ट चेकअप उपकरण, एक्सरे, वेंटिलेटर के साथ साथ कई अत्याधुनिक मशीनें पड़ी पड़ी धूल खा रही हैं. केंद्र सरकार द्वारा करीब 150 करोड़ रू. की लागत से इस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का निर्माण किया गया है.

    लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में भी इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. जिसका मुख्य कारण यह है कि इस अस्पताल के लिए आवश्यक विशेषज्ञ डाक्टरों के पद अभी तक भरे नहीं जा सके हैं. सभी को उम्मीद थी कि कोरोना की दूसरी लहर में ही सही इस अस्पताल का उपयोग हो सकेगा लेकिन कुछ भी नहीं हो सका है. 

    20 निजी अस्पतालों में उपचार

    शहर तथा जिले में सरकारी तीन अस्पताल मिलाकर कुल 23 अस्पतालों में कोरोना वायरस के रोगियों पर इलाज किया जा रहा है. जिसमें 20 निजी अस्पताल शामिल हैं. वर्तमान परिस्थिति में निजी अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में रोगी भर्ती हैं. इस तरह स्थिति काफी खराब चल रही है. यदि किसी भी रोगी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ जाती है तो उसे अस्पताल में भर्ती होने के लिए काफी भागदौड़ करनी पड़ती है. 

    परिवार की मनस्थिति बिगड़ती है

    यदि किसी भी व्यक्ति की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आ जाती है तो पूरे परिवार की मनस्थिति बिगड़ जाती है. शहर भर में लोगों से बातचीत और जानकारी लेने के बाद यह बात सामने आयी है कि कई परिवार कोरोना को लेकर काफी डरे और घबराए हुए दिखाई दे रहे हैं. जिन लोगों की आर्थिक परिस्थिति अच्छी है वे लोग निजी अस्पतालों में संपर्क कर के इलाज करवाने का प्रयास करते हैं. कई लोग होम क्वारंटिन में भी उपचार करवा रहे हैं. और कई लोग सर्वोपचार और अन्य सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए प्रयास करते हैं. 

    सर्वोपचार में भी रिक्त हैं कई पद 

    प्राप्त जानकारी के अनुसार जीएमसी प्रशासन द्वारा कोरोना वायरस के रोगियों के लिए सर्वोपचार में 550 बेड रखे गए हैं. लेकिन सर्वोपचार के प्रति लोगों के मन में काफी असंतोष और नाराजी देखी जा रही है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सर्वोपचार अस्पताल में क्लास वन के 65 पद मंजूर किए गए थे, जिसमें से 12 पद अभी भी रक्त हैं. क्लास टू के 71 पद मंजूर किए गए थे, जिसमें से 6 पद अभी भी रिक्त हैं. क्लास थ्री के 85 पदों को मंजूरी दी गयी थी, जिसमें से 25 पद अभी रिक्त हैं.

    क्लास फोर के 20 पदों को मंजूरी थी, जिसमें से 14 पद अभी भी रिक्त हैं. इसके अलावा भी कई पद रिक्त होने की जानकारी दी गयी हैं. इस बारे में मेडिकल कालेज की डीन डा.मीनाक्षी गजभिये से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि रिक्त पदों के बारे में स्वास्थ्य विभाग से मांग की गयी है, शीघ्र ही पद भरे जाने की उम्मीद है. कुछ भी हो इस तरह अनेक पद रिक्त होने के कारण रोगियों की तरफ जितना ध्यान दिया जाना चाहिए उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है. कुल मिलाकर स्थिति काफी खराब है.