अकोला में अंग्रेजों द्वारा छापे गए थे करेंसी नोट! 5 रु. से 500 रुपये के नोट शामिल

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    • विश्व मुद्रा संग्रहकर्ता अक्षय खाड़े की जानकारी 

    अकोला. भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान अकोला में ब्रिटिश मुद्रा नोट छापे जा रहे थे, ऐसी अद्भुत और महत्वपूर्ण जानकारी विश्व के प्रसिद्ध मुद्रा संग्रहकर्ता और अकोला के विद्वान अक्षय खाड़े ने दी. अकोला के लिए क्या सराहनीय होनेवाली यह बात आज तक अधिकांश अकोलावासी नहीं जानते हैं. 1861 से 1930 तक 70 वर्षों की अवधि के दौरान अकोला में नोट छापे गए थे.

    इनमें 5, 10, 20, 50, 100 और 500 रुपये के नोट शामिल थे. अकोला में सिर्फ 1000 रुपये के नोट नहीं छापे गए. इन नोटों के बारे में अधिक जानकारी देते हुए अक्षय खाड़े ने बताया कि ये नोट एक तरफ ही छपे थे. इसे यूनिफेस नोट कहा जाता था. यह नोट हाथ से बने एक खास कागज पर छपे थे.

    अकोला के अलावा नागपुर, मुंबई में भी होती थी नोटों की छपाई

    अकोला के अलावा कोलकाता, इलाहाबाद, लाहौर, मुंबई, कराची, नागपुर, मद्रास और रंगून में भी ब्रिटिश करेंसी नोट छापे जाते थे. इन नोटों की पृष्ठभूमि हरे और लाल रंग की थी और इन पर नोटों की छपाई की तारीख और जगह का उल्लेख किया गया था. चूंकि उस समय रिजर्व बैंक की स्थापना नहीं हुई थी, इसलिए नोटों पर भारत सरकार लिखा हुआ करता था. उस समय के आसपास, भारत पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था.

    कंपनी के वित्तीय निदेशक, जेम्स विल्सन ने 1859 में नोट छापने का फैसला किया था. इससे पहले नोटों की जगह सिक्कों का इस्तेमाल होता था. जेम्स विल्सन स्वयं अकोला आए थे और उन्होंने स्थान और शहर का निरीक्षण किया था. तब अकोला में नोट छापने की अनुमति दी गयी थी, क्योंकि अकोला उस समय रेलवे लाइन पर एक प्रमुख शहर था.

    1861 से अकोला में शुरू हुई थी नोटों की छपाई

    नोटों की छपाई 1861 से अकोला में शुरू हुई थी. यह 1930 तक लगातार रूप से जारी रही. इन नोटों में बाईं और दाईं ओर नोट का क्रमांक होता था और 6 भाषाओं में पाठ हुआ करता था. अकोला में छपे नोटों में उर्दू, गुजराती, मराठी, कन्नड़ और अंग्रेजी में पाठ लिखा हुआ करता था.

    5 रुपये के नोट का आकार 10 बाई 16 सेमी और 10 से 1000 रुपये के नोट का आकार 12 बाई 17 सेमी था. 1935 में रिजर्व बैंक की स्थापना के बाद इन नोटों की भारतीय रिजर्व बैंक के रूप में छपाई शुरू हुई. साथ ही भारतीय नोटों पर छपाई के वर्ष का उल्लेख 2005 से किया जाने लगा, यह जानकारी मुद्रा संग्रहकर्ता अक्षय खाड़े ने दी है.