- जनप्रतिनिधियों के वादे हवा में
- पुल टूट जाने से लाश नालों से ले जाना पड़ता है
अकोट. तहसील के ग्राम अडगांव खुर्द में कब्रिस्तान की ओर जाने वाला पुल बह गया है. जिससे मुस्लिम बंधुओं को लाश को दफनाने के लिए नाले में चार से पांच फीट गहरे पानी से गुजरना पड़ता है. यहां कब्रिस्तान तक जाने के लिए नाले पर पुल नहीं है. इसलिए नागरिकों को आने जाने में बहुत तकलीफ हो रही हैं. नाले गटर के पानी से लाश को दफन विधि के लिये ले जाना पड़ता है. इससे लोगों को तकलीफ हो रही हैं. आठ दिन में पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ तो प्रदर्शनकारियों ने कब्रिस्तान में बैठकर आंदोलन करने की चेतावनी दी है.
पांच साल पहले अडगांव खुर्द का मुस्लिम कब्रिस्तान की ओर जाने वाला पुल भारी बारिश के कारण बह गया. इस के बारे में स्थानीय निवासियों ने पालकमंत्री, गटविकास अधिकारी, विधायक, सांसद इन सभी को मिलके निवेदन देकर गटर के पानी से जाकर लाश को दफन करना पड़ता हैं. यह बात उनके ध्यान में लायी थी. इस दौरान हमेशा की तरह जनप्रतिनिधियों ने सूखे वादे करते हुए कहा कि पुल निर्माण की समस्या का समाधान किया जाएगा.
हालांकि पांच साल बाद भी पुल का निर्माण शुरू नहीं हुआ है. इसलिए ग्रामीणों का मानना है कि जनप्रतिनिधि का आश्वासन फिर से गायब हो गया है. कब्रिस्तान तक जानेवाले पुल के निर्माण के लिए अडगांव खुर्द ग्राम पंचायत सदस्य वसीम शाह का आरोप है कि ग्रामीण पिछले पांच साल से सरकारी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं और अधिकारी कुछ नहीं कर रहे हैं. फिलहाल बारिश शुरू हो गई है और गांव में किसी की मौत हो जाती है तो उसे नाले से कब्रिस्तान ले जाना पड़ता है.
डरने की बात यह है की ऐसे समय पर यदि अचानक से नाले को बाढ़ आती है तो बड़ी दुर्घटना होने की संभावना हो सकती हैं. इस कारण सरकार ने पुल का निर्माण करना बहुत जरूरी है. इस मांग को लेकर आज प्रमोद सोनोने के नेतृत्व में उप विभागीय अधिकारी श्रीकांत देशपांडे को एक निवेदन देकर स्वयं स्थल का निरीक्षण करने का अनुरोध किया.
आठ दिन में पुल का निर्माण शुरू नहीं हुआ तो कब्रिस्तान में बैठकर आंदोलन करेंगे. ऐसी जानकारी निवेदन कर्ताओं ने दी. इस निवेदन पर प्रमोद सोनोने, अमन गवई, महेंद्र गवई, वसिम शाह, प्रफुल तायडे, सिद्धार्थ दामले, साजिद शाह, जाकिर शाह, अहमद खान, शेख रेहान, अब्दुल शाह, कुर्बान शाह, तुराब शाह, मुजाहिद खान, फैजुल इस्लाम खान आदि लोगों के हस्ताक्षर हैं.
कब्रिस्तान की ओर जाने वाला पुल बह गया है और परिजनों के साथ-साथ ग्रामीणों को भी लाश को नाले के गहरे तल से लाना पड़ रहा है. इस बात से ग्रामस्थ मे नाराजी हैं. – वसीम शाह, ग्रा.पं. सदस्य,
कब्रिस्तान की तरफ जानेवाले रास्ते का पुल गिरने के बाद हम पिछले पांच साल से फॉलोअप कर रहे हैं. हमने जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें स्थिति की जानकारी दी. लेकिन उस समय केवल आश्वासन दिया गया. – प्रमोद सोनोने सामाजिक कार्यकर्ता
जबकि अल्पसंख्यक नागरिकों के शमशान जाने का यहीं एक मात्र रास्ता है. प्रशासन ने नागरिकों की मांगों और निवेदन को टोकरी दिखाई हैं. इसलिए आठ दिन में पुल का निर्माण शुरू नहीं हुआ तो आठ दिन के बाद हम कब्रिस्तान में धरना आंदोलन करेंगे.- अमन गवई,ग्रा.पं. सदस्य.