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अकोला. पिछड़ावर्गीय लाभार्थियों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के उद्देश्य से प्रशासक के रूप में कार्यरत तत्कालीन सीईओ आयुष प्रसाद द्वारा दूधपूर्णा योजना शुरू की गई थी. यह योजना अब समाप्ति की राह पर दिखाई दे रही है. समाज कल्याण समिति की सभा में इस संदर्भ में चर्चा की गई है और शीघ्र ही इस योजना को समाप्त किया जाएगा.

इस योजना के अंतर्गत अब तक कुल 521 लाभार्थियों में से केवल 26 लाभार्थियों को इसका लाभ मिला है. शेष 391 लाभार्थियों को भैसों के द्वितीय लाभ से वंचित रहना पड़ेगा.  जि.प. के माध्यम से समाज कल्याण अंतर्गत 15 योजनाएं चलाई जाती है. पिछले वर्ष समाज कल्याण विभाग ने दूधपूर्णा योजना शुरू की थी. इस योजना के लिए 4.44 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया था.

521 लाभार्थियों का किया चयन
 तदनुसार जि.प. को प्राप्त पात्र 664 आवेदनों में से 521 लाभार्थियों का चयन किया गया था. इस बीच आयोजित सभा में दूधपूर्णा योजना पर चर्चा हुई और पूरी जानकारी ली गई. जि.प. सदस्यों ने दूधपूर्णा योजना बंद करने की आवश्यकता पर बल दिया. आगामी सभा में इस योजना के विषय पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा. कोरोना संकट के कारण मार्च माह से लागू लॉकडाउन से दूधपूर्णा योजना बंद हो गई थी. बाजार बंद रहने से मवेशियों की खरीदी बिक्री का व्यवहार नहीं हो सका.

सभा में विषय सूची के चार विषय मंजूर किए गए जिसमें पिछली सभा का इतिवृत्त मंजूर करना, अनु. जाति व नौबौद्ध घटकों के बस्तियों का विकास, पं.स. स्तर पर प्राप्त प्रस्ताव के अनुसार कार्रवाई करना तथा सन 2019-20 की वार्षिक प्रशासन रिपोर्ट को मंजूरी देने का समावेश था. समाज कल्याण समिति की सभा में सभापति आकाश सिरसाट, सदस्य गजानन डाफे, प्रशांत अढाऊ, संदीप सरदार, नीति गवई, सुमन गावंडे, माया नाईक, आम्रपाली खंडारे, प्रकाश वाहुरवाघ, सचिव तथा समाज कल्याण अधिकारी रामेश्वर वसतकार उपस्थित थे.