अकोला. अमरावती विभाग की विविध शैक्षणिक संस्थाओं में कार्यरत लगभग 4 हजार शिक्षक 12 वर्षों से वेतन से वंचित होने की जानकारी शिवसेना नेता प्रा.प्रकाश डवले ने बातचीत के दौरान दी है. इस संदर्भ में वे हाल में अमरावती विभाग के नवनियुक्त शिक्षा उप संचालक शिवलिंग पटवे से मिले और शिक्षा क्षेत्र की स्थिति उन्होंने उनके सामने रखी. इस अवसर पर उनके साथ शिक्षक समन्वय संघ के राज्य समन्वयक प्रा.संतोष वाघ, सहायक संचालक तेजराव काले उपस्थित थे. 2008-09 में सरकार ने गैर-अनुदानित स्कूल से स्थायी शब्द को हटा दिया.
उसके बाद तस्वीर यह थी कि इन स्कूलों को अनुदान मिलेगा. परिणाम स्वरूप हजारों शिक्षकों ने सरकारी वेतन मिलने की उम्मीद में शिक्षा संस्थाओं में कार्यरत रहकर वेतन की राह देखी. लेकिन पिछले 12 वर्षों से उन्हें पूर्ण वेतन शुरू नहीं हुआ है. कई स्कूल अभी भी अघोषित हैं उन्हें घोषित किया जाना चाहिए, यह मांग इस अवसर पर की गयी है. ताकि इन स्कूलों को अनुदान मिल सके और फिर शिक्षकों के वेतन का मसला हल हो जाएगा.
प्रस्ताव प्रलंबित
2008-09 में सरकार ने कायम अनुदानित शिक्षा संस्थाओं से स्थायी शब्द हटा दिया. उसके बाद इन संगठनों से ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रस्ताव आमंत्रित किए गए थे. प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने के बाद उनका मूल्यांकन किया गया. तब प्रस्तावों से त्रुटियों को हटा दिया गया था. वर्तमान में यह प्रस्ताव शिक्षा निदेशक और मंत्रालय के स्तर पर प्रलंबित हैं. इन प्रस्तावों का शीघ्र निपटारा करने की आवश्यकता है.
केवल 120 करोड़ रू. वितरित किए गए
पिछले वर्ष शिक्षा क्षेत्र की समस्याएं हल करने के लिए 340 करोड़ रू. का प्रावधान राज्य सरकार द्वारा किया गया था. इस में से केवल 120 करोड़ रू. शिक्षा क्षेत्र पर खर्च किए गए हैं. यह पता चला है कि शेष राशि को अन्य हेड की ओर स्थानांतरित की गयी है. राशि स्थानांतरित किए जाने से स्कूलों का अनुदान, शिक्षकों के वेतन के लिए रकम जुटाना आदि बातें प्रलंबित है. शिक्षा क्षेत्र की समस्याएं हल करने के लिए सरकार ने पूरजोर आर्थिक प्रावधान करने की मांग प्रा.डवले ने की है.